विक्रमपुर गांव की एक रात कुछ अलग ही थी। चारों ओर सन्नाटा पसरा था, लेकिन अचानक मुर्गियों की जोरदार चीख-पुकार ने पूरे घर को हिला दिया। घबराए हुए घरवाले जैसे ही बाहर निकले, उन्हें कुछ ऐसा दिखा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आंगन में एक विशाल कोबरा मौजूद था, और उसने एक भारी-भरकम मुर्गी को शिकार बना लिया था। लेकिन मुसीबत तब हो गई जब कोबरा उस मुर्गी को पूरी तरह निगल नहीं पाया। शिकार उसके मुंह में फंसा रह गया और खुद सांप भी उलझ गया।
ये नजारा जितना डरावना था, उतना ही हैरान करने वाला भी था। गांववाले कुछ पल के लिए तो हक्के-बक्के रह गए। ये एक ऐसी घटना थी, जो उस रात को हमेशा के लिए यादगार बना गई — एक ऐसा रोमांच जिसने डर और चौंक को एक साथ महसूस कराया।
जब परिवार वाले पीछे के बाड़े में पहुंचे, तो एक मुर्गी गायब मिली। खोजबीन में दिखा कि कोबरा जमीन पर फंसा पड़ा था — वह मुर्गी को आधा निगल चुका था, मगर शिकार का आकार इतना बड़ा था कि अब न तो वो निगल पा रहा था और न ही उगल पा रहा था। खुद ही अपने लालच का शिकार बन बैठा था।
रेस्क्यू टीम बनी कोबरा की मसीहा
परिवार ने तुरंत स्नेक रेस्क्यू टीम को बुलाया। विशेषज्ञ ने सूझ-बूझ से कोबरा को मुर्गी के मुंह से बाहर निकालने में सफलता पाई और उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि सांप आमतौर पर इंसानों से दूर रहते हैं, लेकिन जब भूख लगती है, तो बस्तियों की ओर खींचे चले आते हैं।
इंसानी लापरवाही बनी खतरे की वजह
रेस्क्यूअर का कहना था कि गांवों में खुले में छोड़े गए मुर्गे-मुर्गियां सरीसृपों के लिए आसान शिकार बन जाते हैं। कोबरा या अजगर जैसे सांप इंसानों पर हमला करने नहीं आते, लेकिन जब उन्हें भोजन की गंध आती है, तो वे बस्ती में घुसने का जोखिम उठा लेते हैं — और कई बार खुद ही मुसीबत में फंस जाते हैं।
इस पूरी घटना ने गांववालों को हिला तो दिया, लेकिन एक बड़ा सबक भी दे गया। लोगों को समझ आया कि ऐसे मौकों पर डरकर हमला करने से बेहतर है कि विशेषज्ञों की मदद ली जाए। कोबरा को सुरक्षित जंगल में छोड़ना एक सराहनीय और जिम्मेदार कदम साबित हुआ।