Covid-19 फिर पसारने लगा पैर, भारत में भी बढ़े केस; कितनी मजबूत है इम्युनिटी? क्या एक और लहर के लिए मेंटली हैं तैयार?
कोविड-19 संक्रमण ने जहां शरीर को कमजोर बना दिया, वहीं मन पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ा। महामारी के दौरान पूरे भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में तेजी से वृद्धि हुई। वैसे तो इस समय भारत में कोविड-19 को लेकर घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन नए वेरिएंट को कम आंकना भी सही नहीं है
जब भी कोविड की बात चलती है तो साल 2020 और साल 2021 के भयावह दिनों की यादें ताजा हो जाती हैं।
कोरोनावायरस के मामलों में फिर से तेज उछाल दर्ज किया जा रहा है। सिंगापुर और हांगकांग सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि ने नई चिंताएं पैदा कर दी हैं। भारत में भी केसेज बढ़ गए हैं। हाल ही में खबर आई कि बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शिरोडकर भी कोविड पॉजिटिव हो गई हैं। जब भी कोविड की बात चलती है तो साल 2020 और साल 2021 के भयावह दिनों की यादें ताजा हो जाती हैं। भारत मे कोरोनावायरस का पहला केस जनवरी 2020 में मिला था। पहली लहर की अवधि मार्च-सितंबर 2020 तक मानी गई। इसके बाद अप्रैल-मई 2021 के दौरान भारत में कोविड-19 की घातक दूसरी लहर ने कई लोगों की जान ले ली।
भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट से प्रेरित तीसरी लहर दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 तक चली। इसके बाद से देश में कोविड-19 मामलों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं देखी गई। तब से, अब तक जीवन कोविड के उस भयानक दौर से आगे बढ़ चुका है। वैसे तो इस समय भारत में कोविड-19 को लेकर घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम महामारी की एक और लहर का सामना करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं?
अभी लोगों की इम्युनिटी काफी मजबूत
नवी मुंबई स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स में जनरल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भरत अग्रवाल का कहना है कि इस स्तर पर कोविड-19 के खिलाफ लोगों की इम्युनिटी काफी मजबूत बनी हुई है। इसका श्रेय व्यापक वैक्सिनेशन कवरेज और पिछले इनफेक्शंस के जरिए विकसित नेचुरल इम्युनिटी को जाता है। उन्होंने कहा, "JN.1 जैसे नए वेरिएंट्स के मामले में, जिसे वर्तमान में बहुत हल्का स्ट्रेन माना जाता है, मौजूदा इम्युनिटी प्रभावी साबित हो रही है। फिर वह इम्युनिटी चाहे वैक्सीन के चलते हो, नेचुरल हो, या हाइब्रिड हो। वर्तमान में कोई संकेत नहीं है कि अतिरिक्त या वेरिएंट-विशिष्ट बूस्टर की जरूरत है। हमें पहले से लग चुके वैक्सीन, इनफेक्शन रेट्स को कंट्रोल में रखने और रीइनफेक्शन के मामले में लक्षणों की गंभीरता को कम करने में अपना उद्देश्य पूरा करना जारी रखते हैं।"
हालांकि, डॉ. अग्रवाल का यह भी कहना है कि किसी भी नए कोविड-19 वेरिएंट को कम नहीं आंका जाना चाहिए। वर्तमान स्थिति JN.1 वेरिएंट से जुड़े गंभीर मामलों में चिंताजनक वृद्धि का संकेत नहीं देती है, लेकिन फिर भी बेसिक सावधानियों जैसे- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनना, हाथों की स्वच्छता बनाए रखना आदि का लगातार पालन करना जरूरी भी है और सही भी।
भारत के प्रमुख महामारी विज्ञानी (Epidemiologist) डॉ. रमन गंगाखेडकर ने जनता से शांत रहने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि जब तक अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु दर में बड़ी बढ़ोतरी नहीं दिखती है, तब तक घबराने की कोई बात नहीं है।
पिछले कोविड-19 इनफेक्शंस से बने एंटीबॉडीज क्या अभी भी सुरक्षा प्रदान करते हैं या फिर समय के साथ काफी कम हो जाते हैं? इस सवाल के जवाब में डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे एंटीबॉडीज धीरे-धीरे कम होते जाते हैं, जो इम्यून रिस्पॉन्स का एक सामान्य हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा, 'हालांकि, वे पूरी तरह से गायब नहीं होते हैं और हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देते रहते हैं, खासकर तब जब वे वैक्सीन से जन्मी इम्युनिटी के साथ कंबाइन होते हैं। अब हम जो देख रहे हैं, वह आबादी में सुरक्षा का एक व्यापक और अधिक लेयर्ड रूप है, जिसे अक्सर 'हाइब्रिड इम्युनिटी' माना जाता है। इसका मतलब यह है कि भले ही एंटीबॉडी का स्तर कम हो गया हो, शरीर में मेमोरी सेल्स बने रहते हैं, जो दोबारा इनफेक्शन के संपर्क में आने पर ज्यादा क्विक और अधिक प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।'
उन्होंने यह भी बताया, "वर्तमान JN.1 वेरिएंट के मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह बताए कि पिछली इम्युनिटी ने अपनी प्रोटेक्टिव वैल्यू खो दी है। इसके उलट पिछले इनफेक्शन और वैक्सीनेशन, गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और जटिलताओं के जोखिम को कम करते हैं। इसलिए भले ही इम्युनिटी हर नए इनफेक्शन को रोक नहीं सकती है, फिर भी यह वायरस के असर को कम करने में बड़ी भूमिका निभाती है।"
क्या आप कोविड-19 के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं?
कोविड-19 संक्रमण ने जहां शरीर को कमजोर बना दिया, वहीं मन पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ा। जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में पब्लिश एक स्टडी से पता चला है कि महामारी के दौरान पूरे भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में तेजी से वृद्धि हुई। शहरी आबादी विशेष रूप से प्रभावित हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, महामारी के पहले वर्ष में पूरी दुनिया में चिंता और अवसाद के मामलों में 25% की वृद्धि हुई।
कोविड-19 के कारण पैदा हुए मानसिक स्वास्थ्य तनाव के बावजूद, आतंकवादी हमलों और भू-राजनीतिक तनाव जैसी हालिया घटनाओं ने भारतीय आबादी के बीच उल्लेखनीय रिजीलिएंस को उजागर किया है। NIMHANS में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. सुरेश बड़ा मठ के अनुसार, यह रिजीलिएंस विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण समुदायों में दिखाई देता है, जहां मजबूत आध्यात्मिक विश्वास, फैमिली बॉन्ड और कम्युनिटी सपोर्ट सिस्टम्स, साइकोलॉजिकल वेल बीइंग को बरकरार रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने News18.com से कहा कि उनका मानना है कि हमारे देशवासी किसी भी चुनौती के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
भविष्य की महामारियों के लिए मनोवैज्ञानिक तैयारी अभी भी कमजोर
ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी के पॉलिटिकल साइकोलॉजी सेक्शन के साइकोलॉजिस्ट और कमेटी मेंबर एंटोनियोस केलेंटजिस ने स्वीकार किया है कि हालांकि समाजों ने कोविड-19 महामारी से महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, लेकिन भविष्य की लहरों या महामारियों के लिए मनोवैज्ञानिक तैयारी अभी भी कमजोर है। News18.com के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कई व्यक्ति अभी भी कोविड के शुरुआती प्रकोप के ट्रॉमा को झेल रहे हैं, जिसमें दुख, जलन और सामाजिक अलगाव शामिल है। प्रतिबंध या डर के लौटने पर यह ट्रॉमा फिर से उभर सकता है।
केलेंटजिस ने कहा कि वैसे तो इससे निपटने के तरीके बेहतर हुए हैं, लेकिन फिर भी क्रोनिक स्ट्रेस, संस्थाओं में विश्वास में कमी ने गहरे मनोवैज्ञानिक घाव छोड़े हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मेडिकली तैयार होने के साथ-साथ मेंटली हेल्थ की तैयारी भी महत्वपूर्ण है। जैसे कि क्लियर कम्युनिकेशन, कम्युनिटी बेस्ड साइकोलॉजिकल सपोर्ट और ऐसी पॉलिसीज जो पब्लिक हेल्थ को इमोशनल वेल बीइंग के साथ संतुलित करती हों। इसके बिना, सामूहिक प्रतिक्रिया में लचीलेपन की बजाय भावनात्मक थकावट की अधिक संभावना हो सकती है।
भारत में स्वास्थ्य अधिकारी सिंगापुर और हांगकांग में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी की खबरों पर नजर रख रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि देश में कोरोना वायरस संबंधी मौजूदा स्थिति नियंत्रण में है। 19 मई तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में कोविड-19 के कनफर्म केसेज की संख्या 257 थी। इनमें से लगभग सभी मामले मामूली हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। पुडुचेरी में 12 लोग कोरोना वायरस से इनफेक्टेड पाए गए हैं।