Delhi Best Sweets : 14 अगस्त 1947 एक ऐसी तारीख, जब लाखों लोगों को रातों-रातों अपना घर छोड़ना पड़ा। अंग्रेजों ने जाते-जाते हिन्दुस्तान की जमीन पर बंटवारे की लकीर खींची। और इसी लकीर के कारण लाखों कदम हिन्दुस्तान की ओर चल पड़े। ऐसे कदम जिनसे एक रात में उनका मुल्क, घर और व्यापार छीन लिया गया। आजाद भारत में पड़े इन लाखों कदमों में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे, जो अपने साथ मिठास की पोटली भी लाए थे। ऐसे ही लोगों में शामिल थे सिंधी व्यापारी चैना राम। चांदनी चौक में चैनाराम ने मिठास की ऐसी दुकान खोली जिसकी महक दिल्ली से सैकड़ों मील दूर तक गई।
मिठास से भूलाया बंटवारे का दर्द
दिल्ली वह शहर है, जो पहले मुगलों का था, फिर ब्रिटिशर्स का बना और 1950 के बाद ये पंजाबी, सिंधी और बनियों का बन गया। इसका श्रेय पाकिस्तान से आए लोगों को जाता है। इसमें से ज्यादातर लोग लाहौर, मुल्तान, रावलपिंडी और सियालकोट से आए, जो इन पाकिस्तानी शहरों में सफल व्यापारी हुआ करते थे। सिंधी व्यापारियों की भी अपनी अलग कहानी है। कभी लाहौर के अनारकली बाजार में मिठाइयों का कारोबार करने वाले चैनाराम का परिवार बंटवारे के बाद दिल्ली आया। चैना राम की मिठाई की दुकान लहौर में सन् 1901 में खुली और बंटवारे के बाद इसकी मिठास दिल्ली के चांदनी चौक में आई। यहां के कराची हलवे ने दिल्ली को अपना दिवाना सा बना दिया।
124 साल पुरानी मिठाइयों की खुशबू
कहते हैं अगर किसी व्यक्ति के दिल तक पहुंचने का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है, तो उसकी आत्मा तक पहुंचने का रास्ता मिठाइयों से होकर जाता है। पुरानी दिल्ली में फतेहपुरी मस्जिद के पास स्थित चैना राम की ये मिठाइयां ऐसे ही लोगों के आत्म तक पहुंच रही हैं। देसी घी में छनकर निकले मिठाइयों की यह खुशबू 124 साल पुरानी है। स्वाद ऐसा कि विदेशी भी यहां कि मिठाइयों के मुरीद हैं। दिल्ली में इस दुकान को चैनाराम के बेटे नीचाराम ने बनाया। आज उनकी पांचवी पीढ़ी मिठास और स्वाद की यह विरासत संभाल रही है।
सियासी गलियारों में भी दीवाने
शुद्ध घी में बना गाजर हलवा, मूंग हलवा, सोहन हलवा, पिस्ता हलवा के साथ कराची हलवा खाने दूर-दराज के लोग आते हैं। समोसे-पापड़ी के दीवानों का भी तांता लगा रहता है। सत्ता के गलियारे में भी चैना राम को काफी पसंद करने वाले हैं। नामों की इस फेहरिस्त में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी शामिल रही हैं।
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