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मिठास से भुलाया बंटवारे का दर्द, लहौर के बाद दिल्ली को बनाया दीवाना, गजब की है चांदनी चौक के दुकान की कहानी

Delhi Best Sweets : कहते हैं अगर किसी व्यक्ति के दिल तक पहुंचने का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है, तो उसकी आत्मा तक पहुंचने का रास्ता मिठाइयों से होकर जाता है। पुरानी दिल्ली में फतेहपुरी मस्जिद के पास स्थित चैना राम की ये मिठाइयां ऐसे ही लोगों के आत्म तक पहुंच रही हैं

Rajat Kumarअपडेटेड Jul 27, 2025 पर 2:14 PM
मिठास से भुलाया बंटवारे का दर्द, लहौर के बाद दिल्ली को बनाया दीवाना, गजब की है चांदनी चौक के दुकान की कहानी
चैना राम की मिठाई की दुकान लहौर में सन् 1901 में खुली

Delhi Best Sweets : 14 अगस्त 1947 एक ऐसी तारीख, जब लाखों लोगों को रातों-रातों अपना घर छोड़ना पड़ा। अंग्रेजों ने जाते-जाते हिन्दुस्तान की जमीन पर बंटवारे की लकीर खींची। और इसी लकीर के कारण लाखों कदम हिन्दुस्तान की ओर चल पड़े। ऐसे कदम जिनसे एक रात में उनका मुल्क, घर और व्यापार छीन लिया गया। आजाद भारत में पड़े इन लाखों कदमों में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे, जो अपने साथ मिठास की पोटली भी लाए थे। ऐसे ही लोगों में शामिल थे सिंधी व्यापारी चैना राम। चांदनी चौक में चैनाराम ने मिठास की ऐसी दुकान खोली जिसकी महक दिल्ली से सैकड़ों मील दूर तक गई।

मिठास से भूलाया बंटवारे का दर्द

 दिल्ली वह शहर है, जो पहले मुगलों का था, फिर ब्रिटिशर्स का बना और 1950 के बाद ये पंजाबी, सिंधी और बनियों का बन गया। इसका श्रेय पाकिस्तान से आए लोगों को जाता है। इसमें से ज्यादातर लोग लाहौर, मुल्तान, रावलपिंडी और सियालकोट से आए, जो इन पाकिस्तानी शहरों में सफल व्यापारी हुआ करते थे। सिंधी व्यापारियों की भी अपनी अलग कहानी है। कभी लाहौर के अनारकली बाजार में मिठाइयों का कारोबार करने वाले चैनाराम का परिवार बंटवारे के बाद दिल्ली आया। चैना राम की मिठाई की दुकान लहौर में सन् 1901 में खुली और बंटवारे के बाद इसकी मिठास दिल्ली के चांदनी चौक में आई। यहां के कराची हलवे ने दिल्ली को अपना दिवाना सा बना दिया।

124 साल पुरानी मिठाइयों की खुशबू 

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