क्या आपने कभी किसी मछली को आसमान में उड़ते देखा है? सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये हकीकत है। एक ऐसी मछली जो सिर्फ पानी में तैरती नहीं, बल्कि हवा में भी उड़ान भरती है। इसे देखकर एक पल के लिए आप सोच में पड़ जाएंगे कि ये मछली है या चिड़िया। ये कोई कहानी नहीं, बल्कि सच है, और ये नजारा समुद्र में देखने को मिलता है। इस मछली का उड़ना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। इसके पंखों जैसे फिन जब फैलते हैं और ये पानी से ऊपर निकलकर हवा में लंबी दूरी तक ग्लाइड करती है, तो नजारा वाकई हैरान कर देने वाला होता है।
ये मछली ना सिर्फ अपने अंदाज से लोगों को चौंकाती है, बल्कि ये दिखाती है कि प्रकृति ने जीवों को कितनी अद्भुत क्षमताएं दी हैं। चलिए जानते हैं इस उड़ती मछली के बारे में और भी दिलचस्प बातें।
ये मछली नहीं उड़ता हुआ अजूबा है
जब ये मछली पानी की सतह से बाहर आती है और अपने पंख जैसे फिन फैला लेती है, तो ऐसा लगता है मानो कोई पक्षी उड़ रहा हो। दरअसल, ये मछली उड़ती नहीं, बल्कि हवा में ग्लाइड करती है और वो भी 200 से 400 मीटर तक।
कौन हैं ये उड़ने वाली मछलियां?
इन मछलियों का वैज्ञानिक नाम है एक्सोकोएटिडे (Exocoetidae), लेकिन आम भाषा में इन्हें फ्लाइंग फिश कहा जाता है। ये मछलियां अपनी अनोखी बनावट और पंखों जैसे फिन्स की मदद से हवा में लंबी दूरी तक सरकती हैं।
पानी में टॉरपीडो हवा में ग्लाइडर
इनका शरीर टॉरपीडो की तरह स्ट्रिमलाइंड होता है, जिससे पानी में तेज रफ्तार मिलती है। अपनी पूंछ को एक सेकंड में 70 बार तक हिलाकर ये सतह से बाहर आती हैं और फिर अपने पंखों को फैला कर हवा में उड़ने लगती हैं।
चार पंखों वाली मछलियां भी मौजूद
कुछ फ्लाइंग फिश प्रजातियों के पेल्विक फिन भी इतने बड़े होते हैं कि ये चार पंखों जैसी लगती हैं। इससे ये और भी लंबी दूरी तक उड़ पाती हैं 400 मीटर तक।
उड़ने की ये कला क्यों सीखी?
हर जीव अपनी रक्षा के लिए कोई न कोई तरकीब निकाल ही लेता है। उड़ने वाली मछली ने उड़ने की ये कला शिकारियों से बचने के लिए विकसित की है। टूना, मैकरेल, स्वोर्डफिश जैसी बड़ी मछलियां इनका पीछा करती हैं, और तब ये हवा में छलांग लगाकर जान बचाती हैं।
हालांकि समुद्री शिकारी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते, लेकिन इंसान सबसे बड़ा शिकारी बन चुका है। जापान, वियतनाम, चीन और कैरिबियन देशों में उड़ने वाली मछलियां बड़े चाव से खाई जाती हैं खासतौर पर सुशी में।
बारबाडोस में मछली बन गई थी मुद्दा
कभी बारबाडोस और त्रिनिदाद-टोबैगो के बीच मछली पकड़ने को लेकर विवाद भी हो गया था, क्योंकि बारबाडोस के पास इनकी संख्या घटने लगी थी वजह थी प्रदूषण और ओवरफिशिंग।
उड़ने वाली मछली सिर्फ एक जीव नहीं, बल्कि इस बात की मिसाल है कि जिंदगी खुद को कैसे ढालती है। शिकार से बचना हो या नई जगह तलाशनी हो इसने हवा को भी अपना रास्ता बना लिया।