मुंबई के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर में बुधवार (27 अगस्त) को गणेश चतुर्थी के मौके पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचे। भगवान गणेश के आगमन का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। यह पर्व आज से शुरू होकर 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है।
गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या विनायक चविथि भी कहा जाता है। ये त्योहार भगवान गणेश को ’नए आरंभ के देवता’ और ’विघ्नहर्ता’ के रूप में समर्पित है। लोग मानते हैं कि गणेश जी बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं।
इस दौरान लोग अपने घरों में गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं, व्रत रखते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और आसपास के पंडालों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों और मंडलों में भीड़ उमड़ पड़ती है और वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा का पहला लुक रविवार को जारी किया गया। ये केवल एक प्रतिमा नहीं बल्कि मुंबई की आस्था, कला और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। लाखों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।
लालबागचा राजा, लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की प्रतिमा है। यह मंडल 1934 में पुतलाबाई चाल में स्थापित हुआ था। तब से ये गणेश प्रतिमा मुंबई में सबसे लोकप्रिय प्रतीकों में से एक बन गई है।
इस साल जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव को "महाराष्ट्र राज्य उत्सव" घोषित किया। ये कदम इस पर्व की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अहमियत को दर्शाता है।
सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने शुरू की थी। उनका उद्देश्य था लोगों को एकजुट करना और भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
गणेश चतुर्थी का पर्व केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। मंदिरों और पंडालों में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और भगवान गणेश के आशीर्वाद की कामना करते हैं।