सांड़ और बैल में क्या फर्क है? जानिए वो राज जो किताबों में नहीं मिलेगा!

Ox and Bull: गाय के पेट से जन्मा बछड़ा बड़ा होकर या तो सांड बनता है या फिर बैल। असल में इंसान अपने फायदे के लिए इन्हें अलग-अलग रूप देता है। खेती-बाड़ी के लिए बछड़े का बधियाकरण कर उसे बैल बना दिया जाता है, ताकि वह शांत रहे। वहीं बिना बधियाकरण के वही बछड़ा सांड कहलाता है

अपडेटेड Jun 21, 2025 पर 2:45 PM
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जब बछड़ा ढाई-तीन साल का होता है तो उसके अंडकोष को दबाकर खत्म कर दिया जाता है।

हमारे देश में बैल और सांड़ को लेकर कई कहावतें और कहानियां प्रचलित हैं। जहां बैल को ईमानदारी और मेहनत का प्रतीक माना जाता है, वहीं सांड़ को ताकत और गुस्से की जीती-जागती मिसाल समझा जाता है। दिलचस्प बात ये है कि ये दोनों ही गाय के एक ही नर बच्चे यानी बछड़े के अलग-अलग रूप होते हैं। गांवों में लोग अक्सर इस फर्क को जानते हैं, लेकिन शहरी इलाकों में ज्यादातर लोगों को बस इतना ही पता होता है कि दोनों का रिश्ता गाय से है। दरअसल, इंसान ने अपनी खेती-बाड़ी और जरूरतों के हिसाब से बछड़े को बैल बना दिया ताकि वो आज्ञाकारी होकर खेत जोते।

वहीं जिस बछड़े को खुला छोड़ दिया गया, वो सांड़ बन गया—आजाद और बेखौफ! यही वजह है कि जहां बैल किसानों की मेहनत का साथी है, वहीं सांड़ गांव की गलियों में अपनी धाक जमाए घूमता है।

इंसान ने निकाली जुगाड़


प्रकृति ने हर जीव को नर और मादा रूप में बनाया है। इंसान ने गाय से दूध और उसके बछड़े से खेती के लिए मेहनत करवाई। पुराने समय में किसान बछड़े को हल में जोतते थे, लेकिन जंगली बछड़े को काबू करना मुश्किल था। इसलिए इंसान ने एक तरीका निकाला—बधियाकरण।

कैसे बनता है बैल?

जब बछड़ा ढाई-तीन साल का होता है तो उसके अंडकोष को दबाकर खत्म कर दिया जाता है। पहले इसे हाथ से कुचला जाता था, अब मशीन से किया जाता है। इससे बछड़े में गुस्सा और संभोग की क्षमता खत्म हो जाती है और वह आज्ञाकारी बन जाता है। इस प्रक्रिया को बर्डिजो कास्टरेटर से किया जाता है। इसके बाद बछड़ा बैल बनकर किसान के काम आता है।

और सांड कैसे बनता है?

सांड़ वही बछड़ा होता है, जिसका बधियाकरण नहीं होता। उसकी ताकत और गुस्सा ज्यों का त्यों रहता है। सांड़ को कोई काबू नहीं कर पाता, इसलिए वो गांवों में खुला घूमता है। सांड़ को अक्सर आजादी और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

नाक में नकेल क्यों?

बधियाकरण के समय ही बछड़े की नाक में छेद करके रस्सी डाली जाती है, ताकि किसान उसे काबू में रख सके। इसी वजह से बैल किसानों का साथी बन जाता है, जबकि सांड़ खुला घूमता है।

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First Published: Jun 21, 2025 2:45 PM

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