भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। आमतौर पर लंबी दूरी के लिए लोग ट्रेन के जरिए सफर करना आरामदायक समझते हैं। आपने कभी न कभी ट्रेन में सफर जरूर किया होगा। आपको जानकारी होगी कि ट्रेन के एयर कंडीशंड क्लास (AC Class) में बर्थ की बुकिंग करवाने वाले यात्रियों को बेड रोल और कंबल की सुविधा फ्री में मुहैया कराई जाती है। इस बीच अक्सर लोगों की शिकायत रेलवे के गंदे बेड रोल और कंबलों के बारे में होती है। ऐसे में बहुत से यात्री यह जानना चाहते हैं कि आखिर चादर और कंबल की धुलाई कब होती है। इस सवाल का जवाब रेलवे ने एक RTI के जरिए दिया है।
दरअसल, रेलवे के एसी कोच में बेड रोल का प्रावधान होता है। ट्रेन में दिए जाने वाले बेड रोल में एक कंबल और चादरों का एक पैकेट होता है। इस पैकेट में साफ-सुथरे दो चादरें, एक तौलिया और तकिया का एक कवर होता है। तकिये की सप्लाई भी बेड रोल का ही हिस्सा होता है। इसके लिए रेलवे की ओर से अलग से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। इसका चार्ज भी किराये में ही शामिल होता है। हां, गरीब रथ और दूरंतो में इसके लिए अलग से शुल्क वसूला जाता है।
कितने दिन में होती है चादर और कंबल की धुलाई?
रेलवे की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि चादर, तकिए, तौलिए की धुलाई हर बार इस्तेमाल करने के बाद की जाती है। रेलवे ने चादरों की धुलाई के लिए देश भर में 46 डिपार्टमेंटल लाउंडरीज बनाई है। इसके साथ ही 25 लाउंडरीज BOOT फार्मूले पर भी बनाए गए हैं। वहीं कंबल महीने में सिर्फ एक बार धोए जाते हैं। उनकी स्थिति के आधार पर, कुछ कंबल महीने में दो बार धोए जा सकते हैं। इस अनियमित धुलाई ने हाइजीन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर उन यात्रियों के लिए जो अपनी यात्रा के दौरान इन कंबलों पर निर्भर रहते हैं।
कंबल की धुलाई पर खुली पोल
वहीं 10 साल से ज्यादा समय से काम करने वाले एक अटेंडेंट ने बताया कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कंबल महीने में दो बार धोए जाते हैं। आमतौर पर हम कंबल को धोने के लिए तभी देते हैं। जब हमें बदबू, गीलापन, उल्टी आदि नज़र आती है। कुछ मामलों में अगर यात्री शिकायत करता है तो हम तुरंत उसे साफ़ कंबल मुहैया कराते हैं। बता दें कि यात्रियों के लिए ऊनी कंबल की सप्लाई होती है। यह भारी होता है। इसका मेंटनेंस भी आसान नहीं है।