शौचालय में हुआ हादसा, 12 घंटे बाद निकला यात्री, दरवाजा खोला तो था हैरान करने वाला दृश्य

मऊ रेलवे स्टेशन पर लिच्छवी एक्सप्रेस के शौचालय में 12 घंटे से फंसे अनिल को रेलवे प्रशासन ने दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। दिल्ली से लौटते वक्त अनिल की तबीयत शौचालय में बिगड़ गई थी। एक यात्री की ऑनलाइन सूचना पर मऊ में ट्रेन रुकने पर राहत अभियान चलाया गया

अपडेटेड Apr 23, 2025 पर 11:22 AM
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Train News: ट्रेन के मऊ स्टेशन पर रुकते ही दरवाजा नहीं खुला, तो टीम ने शौचालय का दरवाजा तोड़ दिया।

कभी-कभी एक सामान्य सा सफर भी ऐसा मोड़ ले लेता है, जहां हर मिनट एक नई लड़ाई बन जाती है। दिल्ली से अपने घर देवरिया लौट रहे अनिल कुमार को क्या पता था कि उनका ये सफर एक डरावने किस्से में बदल जाएगा। 35 वर्षीय अनिल, जो दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, आनंद विहार से लिच्छवी एक्सप्रेस में सवार हुए थे। गाजियाबाद पहुंचते ही वे शौचालय गए, लेकिन अंदर उनकी तबीयत बिगड़ गई और वो वहीं फंसे रह गए। बाहर लोग खटखटाते रहे, अंदर से कोई जवाब नहीं मिला।

घंटों तक अनिल उस तंग जगह में बंद रहे, दर्द और घुटन से जूझते हुए। एक जागरूक यात्री की सूचना से प्रशासन हरकत में आया और मऊ स्टेशन पर दरवाजा तोड़कर अनिल को बाहर निकाला गया। ये हादसा रेल यात्रा की एक ऐसी हकीकत है, जो दिल दहला देती है।

दरवाजा खटखटाते रहे यात्री


शौचालय का दरवाजा बंद देख यात्रियों ने कई बार खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। धीरे-धीरे ट्रेन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। किसी यात्री ने रेलवे की वेबसाइट पर इसकी सूचना दी, जिससे पूरा रेल प्रशासन सतर्क हो गया।

कंट्रोल रूम से चला अलर्ट

जैसे ही सूचना रेलवे कंट्रोल रूम तक पहुंची, मऊ स्टेशन पर अधिकारियों की टीम तुरंत अलर्ट हो गई। स्टेशन मास्टर केदार कुमार की अगुवाई में आरपीएफ, मेडिकल स्टाफ और टेक्निकल टीम को तैयार किया गया।

मऊ स्टेशन पर दरवाजा तोड़ा गया

ट्रेन के मऊ स्टेशन पर रुकते ही दरवाजा नहीं खुला, तो टीम ने शौचालय का दरवाजा तोड़ दिया। अंदर बेहोश पड़े अनिल को तुरंत बाहर निकाला गया और एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया।

अस्पताल पहुंचा परिवार

थोड़ी ही देर में अनिल के परिजन भी अस्पताल पहुंच गए। डॉक्टरों ने अनिल की हालत स्थिर बताई है। इस पूरी रेस्क्यू प्रक्रिया में टिकट निरीक्षक राकेश कुमार, टेक्नीशियन चंद्रकांत शर्मा, सुरेश चौहान, डॉक्टर पुनीत राव, ज्योति प्रकाश, आरपीएफ के एएसआई संजीव मिश्रा और अन्य स्टाफ का अहम योगदान रहा।

रेलवे की मुस्तैदी ने बचाई जान

अगर वक्त पर रेलवे को सूचना नहीं मिलती, तो शायद ये घटना और भी गंभीर हो सकती थी। रेलवे प्रशासन की तत्परता और टीमवर्क ने एक जान को बचा लिया।

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First Published: Apr 23, 2025 11:22 AM

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