भारत में ट्रेन को आम आदमी की जीवनरेखा माना जाता है। हर दिन करोड़ों लोग रेलवे की सेवाओं का लाभ उठाते हैं, क्योंकि ये सबसे सस्ती, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का जरिया है। लेकिन क्या आपने कभी उस ट्रेन के पहियों के बारे में सोचा है, जिस पर बैठकर आप हर जगह घूमते हैं? हम आमतौर पर इंजन, सीट, टिकट और टाइमिंग की बात करते हैं, लेकिन ट्रेन के पहिए — जो असल में इस पूरे सिस्टम को दौड़ाते हैं, उन पर शायद ही ध्यान जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक ट्रेन का केवल एक पहिया ही हजारों रुपये का होता है, और एक कोच में ऐसे 8 पहिए लगे होते हैं।
यही नहीं, भारत में अधिकतर हाई-स्पीड ट्रेनों के पहिए अभी तक विदेशों से इम्पोर्ट किए जाते हैं। अब रेलवे इसे देश में ही बनाने की तैयारी में है, जिससे देश को बड़ी बचत हो सकती है।
विदेशी पहियों पर दौड़ रही हैं भारतीय ट्रेनें
भारत में राजधानी, वंदे भारत और लोकल जैसी हाई स्पीड ट्रेनों के लिए कई पार्ट्स देश में ही बनते हैं, लेकिन ट्रेन के पहिए अभी तक ज़्यादातर यूरोप से इम्पोर्ट किए जाते हैं। खासतौर पर जर्मनी, यूक्रेन और चेकोस्लोवाकिया जैसे देशों से आने वाले ये पहिए भारतीय रेलवे के लिए जरूरी बन गए हैं।
एक पहिए की कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
रेलवे की रिपोर्ट्स के अनुसार, एक ट्रेन के पहिए की कीमत करीब ₹70,000 होती है — और ये केवल इम्पोर्ट की लागत है! एक पैसेंजर कोच में 8 पहिए होते हैं, यानी एक बोगी में सिर्फ पहियों पर ही ₹5.6 लाख का खर्च आता है।
ट्रेन के पहियों का वजन भी चौंकाने वाला होता है। एक पहिया 326 से 423 किलो तक भारी होता है, जबकि इंजन के पहिए का वजन तो 528 किलो तक पहुंच सकता है। यानी ये पहिए भारी भी हैं और भारी-भरकम खर्च वाले भी।
क्यों जरूरी है भारत में निर्माण?
हर साल लाखों पहियों की जरूरत होती है। अगर ये देश में ही बनने लगें तो न केवल लागत घटेगी, बल्कि विदेशी निर्भरता भी कम होगी। साथ ही रेलवे का बजट भी बचेगा, जो आम यात्री के भले में लगेगा।