जहां आजकल की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया और स्मार्टफोन में खोई रहती है, वहीं ओडिशा के ओम प्रकाश बेहेरा ने एक नई मिसाल पेश की है। जेईई मेन 2025 में 100 पर्सेंटाइल स्कोर हासिल कर उन्होंने साबित किया कि अगर उद्देश्य स्पष्ट हो, तो किसी भी बाहरी प्रभाव से बचकर सफलता पाई जा सकती है। ओम ने जनरेशन Z के ट्रेंड से हटकर सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाई, क्योंकि उनका मानना था कि सोशल मीडिया और मोबाइल फोन जैसी चीजें उनकी कंसंट्रेशन को प्रभावित कर सकती हैं। "सोशल मीडिया मेरा समय बर्बाद करता है," ओम ने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा।
इस आत्म-नियंत्रण और समर्पण ने उन्हें 24 टॉपर्स में स्थान दिलाया। अब उनका अगला लक्ष्य जेईई एडवांस्ड में बेहतर प्रदर्शन करके आईआईटी में प्रवेश प्राप्त करना है। ओम का ये समर्पण और फोकस ये दर्शाता है कि सफलता के लिए सही मार्गदर्शन और दृढ़ निश्चय जरूरी है।
नहीं है फोन, नहीं है सोशल मीडिया
ओम प्रकाश के पास फोन नहीं है और वे इसे अपनी तैयारी में विघ्न डालने के रूप में देखते हैं। ओम ने कहा "फोन से मुझे बस ध्यान भटकने का डर है, इसलिए मैंने इसे अपनी लाइफ से दूर रखा है। ये मेरी कंसंट्रेशन पर असर डाल सकता है, और मैं नहीं चाहता कि कुछ भी मुझे मेरे लक्ष्य से भटका दे।"
जेईई एडवांस्ड की ओर अगला कदम
अब ओम का ध्यान जेईई एडवांस्ड पर है, और उनका सपना है कि वो आईआईटी में कंप्यूटर साइंस में बीटेक करें। "मेरे लिए सबसे बड़ा लक्ष्य जेईई एडवांस्ड में अच्छा रैंक लाना है ताकि मुझे आईआईटी में प्रवेश मिल सके," ओम ने कहा। वे जानते हैं कि जेईई मेन के बाद उन्हें अपनी तैयारी को और भी सख्त करना होगा।
ओम ने अपनी जेईई मेन 2025 की तैयारी के बारे में बताया कि उन्होंने अपनी संस्थान द्वारा दी गई स्टडी मोटिवेशन और एनसीईआरटी किताबों को फॉलो किया। "मैंने रोज़ाना सैंपल पेपर्स, पिछले सालों के पेपर्स और मॉक टेस्ट दिए। इससे मुझे पेपर पैटर्न समझने में मदद मिली और मुझे अच्छे अंक लाने में सहायता मिली," ओम ने बताया। उन्होंने ये भी कहा कि इस साल जेईई मेन का पेपर पिछले साल से थोड़ा कठिन था।
ओम प्रकाश ने जेईई मेन के एस्पिरेंट्स को सलाह दी कि अगर स्कोर कम आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए। "अपनी कमजोरियों पर काम करें, और शिक्षकों की सलाह का पालन करें। एनसीईआरटी सामग्री का अध्ययन करें और मॉक टेस्ट जरूर दें," ओम ने कहा। उनका मानना है कि अच्छे मार्गदर्शन और लगातार अभ्यास से सफलता मिल सकती है।
ओम की सफलता में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ है। "मेरी मां ने मुझे हमेशा कोटा में रहकर सपोर्ट किया, जिससे मुझे पढ़ाई में मदद मिली," ओम ने बताया। ओम की मां, स्मिता रानी बेहेरा ओडिशा की एक कॉलेज लेक्चरर हैं, और उनके पिता, कमलकांत बेहेरा ओडिशा प्रशासनिक सेवा में अधिकारी हैं।