Bengaluru News: कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक अपने दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन करके राज्य में दैनिक काम के घंटों को नौ से बढ़ाकर 10 घंटे करने और एक दिन में 12 घंटे तक काम करने का प्रस्ताव ला रही है। कर्नाटक राज्य आईटी कर्मचारी संघ (KITU) ने बुधवार को इस प्रस्ताव का विरोध किया और सभी से इसका विरोध करने का आह्वान किया।
'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो तिमाही ओवरटाइम की सीमा भी 50 से बढ़ाकर 144 घंटे हो जाएगी। यह घटनाक्रम आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा इसी महीने की शुरुआत में इसी तरह के प्रस्ताव के बाद आया है, जिसमें प्रतिदिन काम के घंटों को नौ से बढ़ाकर 10 घंटे करने का प्रस्ताव दिया गया था। आंध्रा में भी उस प्रस्ताव का भारी विरोध हुआ था।
कर्नाटक के मजदूर विभाग ने विभिन्न हितधारकों को इसके लिए मसौदा संशोधनों में ये कहा है कि केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार राज्य के नियमों में बदलाव के लिए ऐसा किया गया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से काम के घंटों की सीमा बढ़ाने पर विचार करने को कहा था। डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, विभाग ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने भी इसी तरह के निर्णय लिए गए है।
कर्नाटक आईटी/आईटीईएस ने किया प्रस्ताव का विरोध
देश का सबसे बड़ा आईटी हब बैंगलोर कर्नाटक में ही है। यही वजह है कि कर्नाटक राज्य आईटी कर्मचारी संघ ने बुधवार को इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। KITU ने एक बयान में कहा, 'कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन 12 घंटे के कार्यदिवस को सामान्य करने का प्रयास करता है। मौजूदा अधिनियम में ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 10 घंटे काम करने की ही अनुमति है।'
संघ ने कहा कि यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन-शिफ्ट प्रणाली के बजाय दो-शिफ्ट प्रणाली अपनाने की अनुमति देगा, और एक तिहाई कार्यबल अपनी नौकरी से बाहर हो जाएगा। KITU ने कहा, '18 जून को श्रम विभाग द्वारा उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ बुलाई गई एक बैठक में कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में 12 घंटे के कार्यदिवस को सुविधाजनक बनाने के लिए संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।'
लंबे काम के घंटों पर बहस जारी
गौरतलब है कि प्री-बजट इकोनॉमिक सर्वे 2025 में अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया था कि प्रति सप्ताह 60 घंटे से अधिक काम करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सर्वे में कहा गया है कि लंबे समय तक डेस्क पर बैठे रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, और जो व्यक्ति डेस्क पर 12 या अधिक घंटे (प्रति दिन) बिताते हैं, उनमें मानसिक स्वास्थ्य का स्तर परेशान या संघर्षपूर्ण होता है।
हालांकि, सुब्रह्मण्यन को व्यापारिक समुदाय के कुछ साथियों से आलोचना मिली। आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने कहा कि लंबे समय तक काम करना बर्नआउट का नुस्खा है, सफलता का नहीं। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी जोर देकर कहा था कि ध्यान काम की गुणवत्ता और उत्पादकता पर होना चाहिए, न कि काम करने में लगने वाले समय पर।