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'183 दिन रहें दुबई में', इस कारण कोटक एएमसी के नीलेश शाह ने कहा ऐसा

Tax Loophole: अमेरिका की तरह भारत 'एग्जिट टैक्स' नहीं लगाता है लेकिन धीरे-धीरे यह ऐसे दरवाजा खोल रहा है, जो तेजी से विदेशों में रहने के दरवाजे खोल रहा है। ऐसा कोटक एएमसी के एमडी नीलेश शाह का मानना है। उन्होंने खुलासा किया कि आखिर अमीर लोग दुबई जैसी जगहों पर क्यों जा रहे हैं। नीलेश शाह ने टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव का भी आग्रह किया है

अपडेटेड Apr 14, 2025 पर 8:19 AM
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मुंबई मामले में ITAT ने सिंगापुर निवासी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने 1.35 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत लाभ पर छूट का दावा किया था।

हाल ही में मुंबई के एक मामले में इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने एक आदेश के तहत सिंगापुर के एक निवेशक को 1.35 करोड़ रुपये के कैपिटल गेन्स पर टैक्स से जुड़ी बड़ी राहत दी है। यह राहत उसे भारत और सिंगापुर के बीच टैक्स संधि के तहत मिली है। इस पर कोटक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के एमडी नीलेश शाह का कहना है कि अगर आपके एलिजिबल सिक्योरिटीज पर काफी अधिक कैपिटल गेन्स टैक्स बन रहा है तो 183 से अधिक दिनों के लिए यूएई शिफ्ट हो जाइए। कोटक एएमसी के एमडी के मुताबिक इतने दिनों तक वहां शिफ्ट होने पर जो खर्च होगा, उसकी भरपाई कैपिटल गेन्स टैक्स के पैसों से हो जाएगा। उन्होंने ये बातें X (पू्र्व नाम Twitter) पर कही।

'आम के आम, गुठलियों के दाम'

टैक्स बचाने की स्ट्रैटेजी का जिक्र उन्होंने मशहूर फिल्म 'शोले' के एक डायलॉग 'आम के आम, गुठलियों के दाम' के साथ किया है। उनका यह ट्वीट हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWI) इंडिविजुअल्स में सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, नीदरलैंड्स और पुर्तगाल जैसे देशों के साथ टैक्स ट्रीटीज के बढ़ते इस्तेमाल का जिक्र किया गया है। इसमें ऑर्टिकल-13 के रेजिडुएल क्लॉज के तहत म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से हुए मुनाफे पर केवल रेजिडेंस वाले देश में ही टैक्स लगाया जाता है, भारत में नहीं।


टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव की सलाह

मुंबई मामले में ITAT ने सिंगापुर निवासी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने 1.35 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत लाभ पर छूट का दावा किया था। ट्रिब्यूनल ने कहा कि म्यूचुअल फंड यूनिट ट्रस्ट जारी करती हैं, कंपनियां नहीं और ऐसे में जब ट्रीटीज लागू होती हैं तो उन पर भारत के कैपिटल गेन्स प्रोविजन्स के तहत टैक्स नहीं लगता है। कोटक एएमसी के एमडी का कहना है कि कानूनी रूप से यह वैध हो सकता है लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि लंबे समय में इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज यह अमाउंट कम लग सकता है लेकिन आने वाले समय में जब अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठाएंगे तो यह अमाउंट रॉकेट की स्पीड से बढ़ सकता है। ऐसे में नीलेश शाह ने कानून में बदलाव की जरूरत कही है जिसके तहत टैक्स का पेमेंट होस्ट कंट्री में हो और क्रेडिट रेसिप्रोकल कंट्री में लिया जाए।

उन्होंने मौजूदा नियमों की एक गुजराती मुहावरे “ઘરના છોકરા ઘંટી ચાટે અને પાડોશીને આટો” (यानी कि घर के बच्चे चक्की चाटते हैं जबकि पड़ोसी आटा लाते हैं) के जरिए आलोचना की है और कहा कि इसके चलते जो भारत में रुके हैं, उन्हें दंड झेलना पड़ रहा है जबकि जो इसे छोड़ रहे हैं, उन्हें इनाम मिल रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि टैक्स का बोझ समान रूप से साझा हो।

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