चीन से सामने आई एक महिला की कहानी ने लाखों लोगों को हैरान कर दिया है। 50 साल की उम्र में जहां लोग खुद को जिम्मेदारियों से थोड़ा हल्का करना चाहते हैं, वहीं इस महिला ने ऐसा कदम उठाया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। जिंदगी की तमाम मुश्किलों और दर्दनाक हादसों का सामना करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उल्टा, उन्होंने वो रास्ता चुना जो अक्सर लोग उम्र के इस पड़ाव पर सोच भी नहीं पाते। आज उनकी जिद और मेहनत ने उन्हें वहां पहुंचा दिया है, जहां पहुंचने का सपना बहुतों का अधूरा रह जाता है। ये कहानी सिर्फ पढ़ाई या डिग्री की नहीं है, बल्कि हिम्मत, उम्मीद और अटूट लगन की मिसाल है।
कभी यांग शंघाई की मशहूर तोंगजी यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री की पढ़ाई कर चुकी थीं। लेकिन साल 2013 में उनकी जिंदगी अचानक बदल गई। एक भीषण आग में वो गंभीर रूप से झुलस गईं। उनके चेहरे और दोनों हाथों पर गहरे घाव हो गए। बायां हाथ बिल्कुल काम करना बंद कर गया और दाहिना हाथ भी आधा ही ठीक से चल पाया।
हादसे के बाद यांग का आत्मविश्वास बुरी तरह टूट गया। लोग उनके चेहरे को देखकर ताने कसते, इसलिए उन्होंने मास्क पहनना शुरू कर दिया। वो डिप्रेशन और स्ट्रेस से जूझने लगीं और आखिरकार नौकरी छोड़ दी। अब उनकी जिंदगी पेंशन पर ही चल रही थी।
यांग का बेटा वकील बनना चाहता था, लेकिन एंट्रेंस एग्जाम पास नहीं कर पाया। उसके कमरे में रखी लॉ की किताबें धीरे-धीरे यांग की नजर में आने लगीं। एक दिन उन्होंने सोचा कि इन्हें बेचने से अच्छा है कि खुद पढ़ाई कर ली जाए। यही ख्याल उनके जीवन का टर्निंग प्वॉइंट बन गया।
बेटे की पुरानी किताबों को पढ़ना आसान नहीं था। शरीर कमजोर था, हाथ ठीक से काम नहीं करते थे, लेकिन हिम्मत और जिद ने उनका साथ दिया। धीरे-धीरे उन्होंने पढ़ाई शुरू की और फिर लॉ स्कूल का एंट्रेंस एग्जाम देने का फैसला लिया।
यांग की मेहनत रंग लाई और उन्होंने यूनान प्रांत की कुनमिंग स्थित साउथवेस्ट फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के पोस्टग्रेजुएट लॉ स्कूल में एडमिशन पा लिया। ये जीत सिर्फ एक डिग्री की नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान की भी है।