भारतीय घरों में पड़ा है $3 ट्रिलियन का सोना, इसे इस्तेमाल में लाए जाने की जरूरत: जीरोधा के नितिन कामत
जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) ने कहा, “हमें सोने को सिर्फ गोल्ड लोन तक सीमित रखने के बजाय इसे बेहतर तरीके से वित्तीय रूप से इस्तेमाल में लाने के रास्ते खोजने चाहिए। इक्विटी (शेयर बाजार) के जरिए कंपनियों को पूंजी मिलती है, जिससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है। सोने के साथ भी हमें कुछ ऐसा ही ढांचा विकसित करना होगा।”
नितिन कामत (Nithin Kamath), जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ
दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना भारतीय लोगों के पास है। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय परिवारों के पास लगभग 25,000 टन पड़ा हुआ है, जिसकी जिसकी कीमत करीब 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब ₹250 लाख करोड़) आंकी जाती है। लेकिन इस विशाल संपत्ति का बड़ा हिस्सा घरों की तिजोरियों या बैंक लॉकरों में बंद पड़ा है, जो देश की इकोनॉमी में कोई सक्रिय योगदान नहीं देता है।
जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) का मानना है कि भारत को अब इस “निष्क्रिय सोने” को वित्तीय रूप से अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।
कामत ने कहा, “हमें सोने को सिर्फ गोल्ड लोन तक सीमित रखने के बजाय इसे बेहतर तरीके से वित्तीय रूप से इस्तेमाल में लाने के रास्ते खोजने चाहिए। इक्विटी (शेयर बाजार) के जरिए कंपनियों को पूंजी मिलती है, जिससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है। सोने के साथ भी हमें कुछ ऐसा ही ढांचा विकसित करना होगा।”
इक्विटी बनाम सोना: किसने ज्यादा दिया रिटर्न?
कामत ने अपने पोस्ट के साथ एक चार्ट भी साझा किया, जिसमें 1996 से 2025 के बीच गोल्ड और निफ्टी 500 इंडेक्स के सालाना रिटर्न की तुलना की गई। इस डेटा के मुताबिक, पिछले 30 सालों में 24 बार इक्विटी ने सोने से बेहतर रिटर्न दिया है। यानी, लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिहाज से शेयर बाजार ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है।
उदाहरण के तौर पर, निफ्टी 500 इंडेक्स ने साल 2003 में 101%, 2004 में 105%, और 2009 में 91% की शानदार बढ़त दर्ज की। हालांकि कुछ सालों में तेज गिरावट भी देखने को मिली। जैसे साल 2008 में -57%, 2001 में -22%, और 2011 में -26% की गिरावट आई।
दूसरी ओर, सोने ने तुलनात्मक रूप से स्थिर लेकिन सीमित रिटर्न दिए। साल 2011 में 32%, 2020 में 27%, और 2024 में 16% की बढ़त देखने को मिली। दिलचस्प बात यह है कि कोविड-19 महामारी के बाद साल 2020 में दोनों एसेट्स ने साथ-साथ बढ़त दर्ज की। निफ्टी 500 इंडेक्स 16% बढ़ा और गोल्ड 27% चढ़ा।
भारत का गोल्ड स्टॉक दुनिया में सबसे बड़ा
UBS सिक्योरिटीज इंडिया की एक रिपोर्ट के मुकाबिक, पूरी दुनिया के सोने के कुल भंडार का करीब 14 प्रतिशत भारतीय घरों में है। यह भंडार भारत की जीडीपी के 56% के बराबर है और देश के कुल बैंक क्रेडिट (55%) से भी अधिक है।
HSBC ग्लोबल की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय परिवारों के पास मौजूद सोना, दुनिया के टॉप 10 सेंट्रल बैंकों (जिनमें अमेरिका, जर्मनी, चीन और रूस शामिल हैं) के कुल सोने के भंडार से भी अधिक है। इसके मुकाबले, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास दिसंबर 2024 तक सिर्फ 876.18 टन सोना था।
कीमतों का रुझान
UBS की चीफ इकॉनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन के अनुसार, सोने की कीमतें आने वाले सालों में और बढ़ सकती हैं। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, FY26 तक गोल्ड का दाम 3,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। अप्रैल 2025 में सोना कुछ समय के लिए इस स्तर को $3,501 प्रति औंस तक पार भी कर चुका है।
Indian households hold ~$3 trillion in gold (World Gold Council estimate), sitting idle in lockers. Meanwhile, equity investments fund companies that need capital to grow. We need better ways to financialize this gold beyond just gold loans. pic.twitter.com/j0D4DI0bOi
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