अगले पांच साल में भारत के इन राज्यों में बसे यहूदी जाएंगे इजरायल, नेतन्याहू सरकार के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पीढ़ियों से बसे यहूदी अब अपने वतन जा सकेंगे। इजरायल की नेतन्याहू सरकार अगले पांच साल में इन्हें भारत से इजरायल ले जाएगी। इस संबंध में उसके प्रस्ताव को देश की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। ये काम एक चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 10:16 PM
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इनमें से 1,200 सदस्यों को 2026 में लाने के लिए स्वीकृत मिल गई है।

लगभग ढाई हजार साल पहले भारत में आकर बसे यहूदियों के लिए अब अपने वतन जाने का रास्ता साफ हो गया है। इस संबंध में इजरायल सरकार के प्रस्ताव को इजरायल की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद भारत के मणिपुर और मिजोरम के पूर्वोत्तर राज्यों में बसे 5800 यहूदियों को अगले पांच साल में इजरायल लाने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। इन यहूदियों को आमतौर पर ‘बेनी मेनाशे’ कहा जाता है।

इजराइल की ‘जुइश एजेंसी’ के अनुसार इजरायल सरकार ने रविवार को पूर्वोत्तर भारत से बेनी मेनाशे समुदाय के अलियाह (आव्रजन) को पूरा करने के लिए एक ‘महत्वपूर्ण, व्यापक पहल’ को मंजूरी दी। ये प्रस्ताव आव्रजन एवं एकीकरण मंत्री ओफिर सोफर ने मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया। एजेंसी ने कहा, ‘इस ऐतिहासिक फैसले से 2030 तक लगभग 5,800 बेनी मेनाशे समुदाय के सदस्य इजराइल आएंगे। इनमें से 1,200 सदस्यों को 2026 में लाने के लिए स्वीकृत मिल गई है।’

योजना पर खर्च होंगे 2.7 करोड़ डॉलर

‘जुइश एजेंसी’ पहली बार पूर्व-आव्रजन प्रक्रिया का नेतृत्व करेगी। इस योजना पर लगभग नौ करोड़ शेकेल (2.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की लागत आएगी। इसके जरिए इन आप्रवासियों की उड़ानों, धर्म संबंधी शिक्षाओं, आवास, हिब्रू पाठ और अन्य चीजों को पूरा किया जाएगा। बता दें, ‘जुइश एजेंसी’ इजराइल आधारित अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो अलियाह को मुख्य मूल्य के रूप में आगे बढ़ाकर इजराइल और दुनिया भर के यहूदी लोगों को मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करता है।

भारत आएगा रब्बियों का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल

आगामी दिनों में रब्बियों (धार्मिक नेताओं) का एक प्रतिनिधिमंडल भारत के लिए रवाना होने की संभावना है। यह अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल होगा और एक दशक से भी ज्यादा समय में पहला प्रतिनिधिमंडल होगा। यह प्रतिनिधिमंडल समुदाय के लगभग 3,000 बेनी मेनाशे लोगों का साक्षात्कार करेगा, जिनके इजराइल में रिश्तेदार हैं।


2005 में भारत के यहूदियों को मिली मान्यता

बेनी मेनाशे के यहूदी होने पर हुई गहन चर्चा के बाद 2005 में सेपहार्डी समुदाय के तत्कालीन मुख्य रब्बी श्लोमो अमर ने उन्हें ‘इजराइल का वंशज’ के रूप में मान्यता दी। इसके बाद उनके इजरायल में बसने का रास्ता साफ हुआ।

2700 साल पहले हुए थे निर्वासित

समुदाय का दावा है कि वे मेनाशे जनजाति से संबंधित हैं, जो लगभग 2,700 साल पहले असीरियाई द्वारा निर्वासित किए गए दस कबीलों में से एक है। समुदाय के लगभग 2,500 सदस्य पहले ही इजराइल में बस चुके हैं। स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, समुदाय के अधिकतर युवा इजराइली रक्षा बलों की लड़ाकू इकाइयों में सेवारत हैं।

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