जंगल या पहाड़ों में ट्रैकिंग के दौरान अचानक किसी छुपे खजाने का मिलना हर किसी के लिए एक सपने जैसा होता है। हाल ही में चेक गणराज्य के क्रकोनोसे पर्वतों में दो हाइकर्स को कुछ ऐसा ही मिला, जिसने इतिहास के पन्नों को हिला दिया। उन्हें एक पुराना बक्सा मिला, जो सोने के सिक्कों, कीमती कंगनों और जेवरात से भरा था। लेकिन सबसे खास बात ये थी कि इन खोजकर्ताओं ने इस अनमोल खजाने को अपने पास रखने की बजाय, सीधे स्थानीय म्यूजियम को सौंप दिया।
उनकी इस ईमानदारी ने न केवल उनकी सराहना बटोरी, बल्कि इतिहास की एक अनजानी कहानी को भी उजागर किया। इस खजाने की गहराई में छुपी हुई बातें और इसकी असली कहानी अब विशेषज्ञों के लिए एक चुनौती बन गई है, जो इसे समझने और सुरक्षित रखने में जुटे हैं।
एक एल्यूमीनियम बॉक्स में छुपा इतिहास
दो हाइकर्स की नजर जंगल में एक पत्थर की दीवार के पास पड़े एक एल्यूमीनियम बॉक्स पर पड़ी। जब उन्होंने इसे खोला, तो अंदर 598 सोने के सिक्के, 10 सोने की कंगन, 17 सिगार केस, एक पाउडर कॉम्पैक्ट और एक कंघी मिली। ये सभी चीजें हरादेक क्रालोवे शहर के ईस्टर्न बोहेमिया म्यूजियम को सौंप दी गईं। म्यूजियम के पुरातत्व प्रमुख मिरोस्लाव नोवाक ने बताया कि खोजकर्ताओं ने बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे म्यूजियम के सिक्का विशेषज्ञ से संपर्क किया, जिसके बाद पूरी टीम ने उस जगह की गहन जांच शुरू की।
100 साल पुराना खजाना और उसकी कीमत
खजाने में मिले सिक्कों में सबसे पुराना 1921 का है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये लगभग सौ साल पुराना है। माना जा रहा है ये खजाना द्वितीय विश्व युद्ध से पहले की उथल-पुथल भरी परिस्थिति से जुड़ा हो सकता है। खास बात ये है कि इसमें स्थानीय चेक या जर्मन सिक्के नहीं थे, बल्कि ज्यादातर सिक्के बाल्कन और फ्रांस के थे। इन सिक्कों का कुल वजन लगभग 3.7 किलो है और इनकी कीमत लगभग 8 मिलियन चेक कोरुना यानी करीब 36 लाख अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।
सिक्कों के पीछे की गुत्थी
विशेषज्ञों के अनुसार, इनमें से कुछ सिक्कों पर पूर्व यूगोस्लाविया के काउंटरमार्क भी हैं, जो 1920 और 1930 के दशक में लगाए गए थे। ये संकेत देता है कि ये खजाना सीधे चेक क्षेत्र का नहीं बल्कि बाल्कन प्रायद्वीप से संबंधित हो सकता है। ऐसे कई सवाल हैं कि आखिर ये सिक्के यहां कैसे पहुंचे और इन्हें क्यों छुपाया गया।
स्थानीयों की जिज्ञासा और पुरानी कहानियां
इस अनोखी खोज ने स्थानीय लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है। कई लोग म्यूजियम को अपनी पारिवारिक कहानियां और अनुमान बता रहे हैं। कुछ का मानना है कि ये खजाना स्वेर्ट्स-श्पोर्क नाम के एक अमीर परिवार का हो सकता है, तो वहीं कुछ इसे युद्ध के दौरान चेकोस्लोवाक सैनिकों द्वारा लूटी गई संपत्ति भी मानते हैं। अभी भी दो सिगार केस सील्ड हैं, जिनके अंदर क्या है, यह पता नहीं चला है।
आगे की जांच और खोज का भविष्य
पुरातत्वविद और विशेषज्ञ अभी भी इस खजाने की धातु संरचना और इतिहास को समझने के लिए अध्ययन कर रहे हैं। ये खोज न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि ये उस दौर की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों की भी झलक देती है। जांच पूरी होने के बाद ये खजाना म्यूजियम में सुरक्षित रखा जाएगा और खोजकर्ताओं को इसके लिए पुरस्कृत भी किया जाएगा। ये खजाना एक झलक है इतिहास की अनसुलझी कहानियों की, जो हमें बीते समय की कठिनाइयों और संघर्षों की याद दिलाता है।