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Shani Shingnapur Temple: बिना छत का मंदिर और बिना दरवाजे-ताले का गांव अपनी खासियत की वजह से है मश्हूर, नवंबर से फरवरी के बीच बनाएं जाने का कार्यक्रम

Shani Shingnapur Temple: आमतौर से मंदिरों में सुंदर नक्काशी और प्रतिमा देखने को मिलती है। मगर इस मंदिर की बनावट बिलकुल साधारण है और यहां शनिदेव की मूर्ति ऊंचे चबूतरे पर खुले आसमान के नीचे स्थापित है। इनके साथ में नंदी, त्रिशूल और हनुमान जी की प्रतिमाएं और चिह्न स्थापित हैं।

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 30, 2025 पर 10:35 AM
Shani Shingnapur Temple: बिना छत का मंदिर और बिना दरवाजे-ताले का गांव अपनी खासियत की वजह से है मश्हूर, नवंबर से फरवरी के बीच बनाएं जाने का कार्यक्रम
शनिदेव का यह मंदिर अपनी बनावट और अनोखी मान्यता के लिए है लोकप्रिय।

Shani Shingnapur Temple: महाराष्ट्र के प्राचीन गांव में बना यह मंदिर अपनी कई खासियतों के लिए मश्हूर है। अहमदनगर जिले के इस मंदिर में सदियों से भक्त शनिदेव की कृपा पाने के लिए आ रहे हैं। शनि देव को सर्मित ये मंदिर इसलिए खास है क्योंकि यहां इनकी प्रतिमा खुले आसमान के नीचे स्थापित है। साथ ही शिंगणापुर गांव में बने घर भी सामान्य घरों से अलग हैं। यहां के घर बिना दरवाजों और ताले के हैं। जी हां। यहां के लोग मानते हैं गांव में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी शनिदेव की है। जो भी बुरे कर्म करेगा, शनिदेव खुद उसे दंड देंगे। यहां आने वालों के लिए पूजा का ही विशेष महत्व नहीं है, बल्कि यह उस स्थान का अनुभव है कि जहां आस्था इतनी गहरी है कि उसने रोजमर्रा के जीवन को आकार दिया है।

300 साल पुरानी है मंदिर की कहानी

इस मंदिर की कहानी करीब 300 साल पुरानी है। गांव में बहुत भीषण बाढ़ आई थी। पानी में गांव वालों को एक बड़ा सा काला पत्थर बहता हुआ दिखा, उसे जब उन्होंने लकड़ी की सहायता से किनारे खींचा तो उसमें से खून बहने लगा। उसी रात शनिदेव ने एक चरवाहे के सपने में दर्शन दिए और बताया कि वो पत्थर उनकी मूर्ति है। उन्होंने निर्देश दिया कि यह मूर्ति इसी गांव में रहनी चाहिए, मगर छत के नीचे नहीं। तभी से 5.6 फुट की यह प्रतिमा खुले आसमान के नीचे स्थित है। स्थानीय मान्यता है कि ये अपने भक्तों की रक्षा करती है और उनकी निगरानी करती रहती है।

इतिहास और बनावट की वजह से है खास

यह मंदिर अपने इतिहास और बनावट की वजह से भक्तों के बीच खास है। आमतौर से मंदिरों में सुंदर नक्काशी और प्रतिमा देखने को मिलती है। मगर इस मंदिर की बनावट बिलकुल साधारण है और यहां शनिदेव की मूर्ति ऊंचे चबूतरे पर खुले आसमान के नीचे स्थापित है। इनके साथ में नंदी, त्रिशूल और हनुमान जी की प्रतिमाएं और चिह्न स्थापित हैं। भक्त शनिदेव पर तेल अर्पित कर उनका अभिषेक करते हैं और शनिदोष से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं। शनिवार और अमावस्या के दिन हजारों की संख्या में भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर में दिन की शुरुआत प्रतिमा के स्नान, पूजा और मंत्रोच्चार के साथ शुरू होती है। भक्त शनिदेव को तेल, काला तिल और फूल अर्पित करते हैं। शनिवार के दिन मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ होती है, जबकि शनि अमावस्या या शनि जयंति पर देश भर से तीर्थयात्री आते हैं। यह पर्व पूजा, भजन और शोभायात्राओं के साथ मनाए जाते हैं।

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