राजस्थान के पाली जिले के शेखो की ढाणी में रहने वाली अफसाना बानो की कहानी बहुत ही हैरान करने वाली है। पिछले छह महीनों में अफसाना को सांप ने आठ बार काटा है। हर बार जब सांप ने हमला किया, तो उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। कभी-कभी उनकी हालत इतनी नाजुक हो गई कि डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा और जोधपुर एम्स में रेफर किया। इसके बावजूद अफसाना हर बार मौत को मात देकर घर लौट आई। अब उनका जीवन डर और सतर्कता में बीत रहा है।
खाना बनाते, कपड़े सुखाते या घर के काम करते समय भी उनके मन में हमेशा डर बना रहता है। इस अद्भुत घटना ने न केवल उनके परिवार को बल्कि डॉक्टरों और गांववालों को भी हैरान कर दिया है। अफसाना की हिम्मत सच में काबिले तारीफ है।
अफसाना अब हर समय डर में रहती हैं। खाना बनाते समय, कपड़े सुखाते या घर के अंदर काम करते समय उनका मन यही सोचता रहता है कि कहीं सांप न आ जाए। शरीर पर पहले के डसने के निशान भी मौजूद हैं, इसलिए कोई भी ये नहीं कह सकता कि अफसाना झूठ बोल रही हैं।
मार्च: पहली बार सांप का हमला
ये सब कुछ मार्च में शुरू हुआ। घर के बाहर झाड़ू निकालते समय सांप ने अफसाना की अंगुली डस ली। दर्द और डर के बीच उन्होंने पति मुस्ताक खान को बुलाया। मुस्ताक ने सांप के बच्चे को पकड़कर उन्हें तुरंत बांगड़ अस्पताल पहुंचाया।
अप्रैल से सितंबर: हर महीने हमला
अफसाना को अप्रैल, मई और जून में भी बार-बार डसने का सामना करना पड़ा। कई बार स्थिति इतनी गंभीर हुई कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और जोधपुर एम्स में रेफर किया गया। सितंबर में भी दो बार उन्हें सांप ने डसा।
एम्स से लौटने के बाद भी खतरा
एम्स से घर लौटने के चार दिन बाद अफसाना को सांप ने फिर से काटा। इस बार भी परिवार ने अंधविश्वास का सहारा न लिया और सीधे अस्पताल पहुंचाया। समय पर इलाज के कारण अफसाना सुरक्षित घर लौटी।
आठ बार काटने के बावजूद जीवित
कोई इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता की आठ बार सांप के डसने के बाद कोई जीवित रह सकता है। अफसाना की इस अद्भुत साहास ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया।
अफसाना के पति मुस्ताक खान ने झाड़-फूंक जैसी अंधविश्वासी सलाह को न मानकर सीधे अस्पताल जाना चुना। यही कारण है कि अफसाना स्वस्थ हैं। बार-बार काटने की घटनाओं ने पूरे परिवार को भी हैरान कर दिया।
पूर्व मेडिकल कॉलेज विभागाध्यक्ष डॉक्टर एच.एम. चौधरी का कहना है कि बार-बार सांप के डसने से शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो सकती है, जो विष को लड़ने में मदद करती है। हालांकि इस मामले की पूरी जांच के बिना कुछ कहना मुश्किल है।
आज भी अफसाना हर समय सतर्क रहती हैं। घर के कामकाज में भी उन्हें डर बना रहता है। लेकिन उनकी कहानी साबित करती है कि इंसान की जिंदगी में हिम्मत और सतर्कता कितना अहम रोल निभाती है।