सांप का नाम सुनते ही हमें डर लगना स्वाभाविक है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में चार सबसे खतरनाक सांप हैं जो रोजाना हजारों लोगों की जान लेते हैं? इन सांपों का जहर इतना घातक होता है कि इनके काटने से समय रहते इलाज न मिलने पर मौत भी हो सकती है। आज जलवायु परिवर्तन की वजह से ये सांप उन इलाकों में भी फैल रहे हैं जहां पहले खतरा कम था, जिससे यह समस्या और गंभीर हो रही है। ऐसे में जागरूकता और सही सावधानी रखना जरूरी हो गया है ताकि इस जानलेवा खतरे से बचा जा सके।
भारत में चार ऐसे जहरीले सांप हैं, जिन्हें “बिग फोर” कहा जाता है और ये देश में सबसे अधिक सांप काटने के मामलों और मौतों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें कॉमन करैत, इंडियन कोबरा, रसल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं, जिनका विष बेहद खतरनाक होता है और इनके दंश से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं।
हाल ही में एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ये सांप अब उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के इलाकों में तेजी से फैल सकते हैं, जहां लोगों और स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी कम है। इस बदलाव से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सांपों के हमले के मामले बढ़ सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि बढ़ती गर्मी और नमी ऐसे हालात बनाएंगे जो इन सांपों के लिए आदर्श रहेंगे, जिससे इनके रहने और प्रजनन के क्षेत्र बढ़ेंगे। विशेष रूप से हरियाणा, राजस्थान, असम, मणिपुर जैसे राज्यों में इन सांपों के फैलने की संभावना ज्यादा है। ऐसे इलाकों में लोगों को जागरूक करना और एंटीवेनेस का प्रबंध करना बेहद जरूरी हो जाएगा।
भारत विश्व में सांप काटने से होने वाली मौतों का बड़ा हिस्सा रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सांप काटने को एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी माना है, जिसका असर गरीब और ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा होता है। इसलिए विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, बचाव के उपायों को बढ़ावा देने और एंटीवेनेस की पहुंच सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
इन चारों सांपों के विष से ही एंटीवेनेस तैयार होते हैं जो जानलेवा जहर से बचाने में कारगर हैं। अधिकारियों और स्वास्थ्य विभागों को चाहिए कि वे ग्रामीण इलाकों में लोगों को सांपों के खतरे, बचाव के उपाय और पहले सहायता के तरीकों के बारे में जागरूक करें। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सक्रिय कदम उठाकर भविष्य में इस खतरे को कम किया जा सकता है।