इन देशों में बच्चों के लिए ‘स्क्रीन टाइम लॉ’ हुआ लागू, डिजिटल लत से बचाने की बड़ी कोशिश

दुनियाभर में बच्चों के बढ़ते मोबाइल और गेमिंग इस्तेमाल को देखते हुए कई देशों ने स्क्रीन टाइम लॉ लागू किए हैं, जिनका लक्ष्य 0 से 18 साल तक के बच्चों को डिजिटल लत से बचाना है। चीन, दक्षिण कोरिया और फ्रांस जैसे देशों में खासकर छोटे बच्चों के लिए सख्त समय सीमाएं तय की गई हैं।

अपडेटेड Nov 22, 2025 पर 12:04 AM
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डिजिटल युग ने बच्चों की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक, हर चीज़ स्क्रीन पर आ चुकी है। लेकिन तकनीक की यही पहुंच अब दुनिया भर में चिंता का कारण बन रही है। बढ़ते स्क्रीन टाइम के चलते बच्चों के स्वास्थ्य और व्यवहार में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसी खतरे को देखते हुए कई देशों ने बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम लॉ लागू करने या सख्त गाइडलाइन्स जारी करने की शुरुआत कर दी है। इन नियमों का मकसद बच्चों को डिजिटल लत, मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं से बचाना है।

स्क्रीन टाइम क्यों बना वैश्विक चिंता का विषय?

विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों की नींद का पैटर्न बिगड़ता है, आंखों पर बुरा असर पड़ता है, मोटापे का खतरा बढ़ता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। खासकर 3 से 12 साल की उम्र के बच्चे इससे बेहद प्रभावित होते हैं। इस उम्र में बच्चों का दिमाग तेजी से विकसित होता है, और अत्यधिक स्क्रीन उन्हें सामाजिक गतिविधियों, खेल-कूद व रचनात्मक सोच से दूर ले जाता है।


महामारी के बाद ऑनलाइन पढ़ाई ने स्थिति को और गंभीर कर दिया। कई बच्चों में मोबाइल की लत इतनी बढ़ गई कि उन्हें घंटों स्क्रीन से दूर रखना मुश्किल होने लगा। इसी वजह से बच्चों के स्क्रीन उपयोग को लेकर दुनिया भर की सरकारें अब सख्त कदम उठा रही हैं।

दुनिया के बड़े देश क्या कर रहे हैं?

दक्षिण कोरिया – "सिंड्रेला लॉ"

दक्षिण कोरिया ने बच्चों को रात में मोबाइल और ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखने के लिए सिंड्रेला लॉ लागू किया है। इसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चे रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक ऑनलाइन गेम नहीं खेल सकते। सरकार का मानना है कि यह नियम बच्चों की नींद और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाएगा।

चीन – दुनिया का सबसे सख्त स्क्रीन टाइम कानून

चीन ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बेहद कड़े नियम बनाए हैं।

बच्चे सिर्फ सप्ताह में 3 घंटे ही ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं।

गेमिंग कंपनियों को बच्चों की पहचान की पुष्टि करना जरूरी है।

सोशल मीडिया और वीडियो ऐप्स पर भी समय सीमा तय की गई है।

चीन ने यह कदम बच्चों में बढ़ती गेमिंग लत और पढ़ाई पर पड़ रहे असर को देखते हुए उठाया।

फ्रांस – छोटे बच्चों पर सबसे सख्त नियंत्रण

फ्रांस में 3 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखने की सलाह दी जाती है। 3 से 6 साल के बच्चों के लिए भी प्रतिदिन 30 मिनट से अधिक स्क्रीन देखने की अनुशंसा नहीं है। फ्रांस का मानना है कि शुरुआती उम्र में डिजिटल स्क्रीन का असर भाषा, व्यवहार और सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है।

अमेरिका और यूरोप – गाइडलाइन्स पर जोर

अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में कानूनी रूप से स्क्रीन टाइम पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य संस्थाएं माता-पिता को बच्चों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे प्रतिदिन तक सीमित रखने की सलाह देती हैं। स्कूलों को भी बच्चों के डिजिटल एक्सपोज़र को कम करने के निर्देश दिए गए हैं।

कौन से बच्चे इन कानूनों के दायरे में आते हैं?

अधिकतर देशों में स्क्रीन टाइम नियम 0 से 18 साल तक के बच्चों पर लागू होते हैं।

0–3 वर्ष: स्क्रीन लगभग प्रतिबंधित

3–12 वर्ष: सीमित और नियंत्रित स्क्रीन टाइम

13–18 वर्ष: गेमिंग और सोशल मीडिया पर समय सीमा

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में और भी देश स्क्रीन टाइम लॉ लागू करेंगे। डिजिटल दुनिया से बच्चों को पूरी तरह दूर रखना संभव नहीं है, लेकिन उनका उपयोग संतुलित और नियंत्रित बनाना आज की जरूरत है।

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