कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश में बड़ा विवाद हो गया है, जब तजम्मुल नाम का एक मुस्लिम व्यक्ति सड़क किनारे एक ढाबे पर 'गोपाल' नाम से काम करता मिला। उसने हिंदू समूहों से खुद को बचाने के लिए ऐसा किया। यह घटना मुजफ्फरनगर में नेशनल हाईव 58 पर 'पंडित जी वैष्णो ढाबे' पर हुई। विरोध प्रदर्शन के बाद ढाबा बंद कर दिया गया है।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, तजम्मुल ने कबूला कि उसने डर के कारण और अपने मालिक के कहने पर अपनी पहचान और धर्म छुपाया। उसने कहा, "मेरा नाम तजम्मुल है, मुझे अपना नाम 'गोपाल' बताने के लिए कहा गया था, ताकि मैं बिना परेशानी पैदा किए ढाबे पर काम कर सकूं। शर्मा जी (ढाबा मालिक) ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था।"
तजम्मुल ने कहा कि उन्हें अपनी मुस्लिम पहचान छिपाने और खुद को हिंदू के रूप में पेश करने के लिए कहा गया था, ताकि हिंदू संगठनों के विरोध से बचा जा सके, जिन्होंने कांवड़ यात्रा रूट पर होटल और ढाबे वालों की पहचान की जांच शुरू कर दी है।
तजम्मुल ने कहा, "उन्होंने मुझे कड़ा पहनने को कहा। मैंने इसे तीन महीने तक पहना ताकि कोई मुझे पहचान न सके।"
तजम्मुल ने बताया कि जब एक हिंदू समूह के सदस्य परिसर में घुस आए और कर्मचारियों की धार्मिक पहचान पर सवाल उठाने लगे तो उन्हें धमकाया गया और उन पर हमला किया गया। उन्होंने कहा, "उन्होंने मेरी पैंट उतार दी। उन्होंने मुझे पीटा और मैं रो रहा था।"
यह घटना 28 जून को घटी, जब स्वामी यशवीर जी महाराज नाम का एक धार्मिक व्यक्ति और उनके कई सहयोगी "पहचान अभियान" के तहत ढाबे पर आए। स्वामी यशवीर के समर्थकों के अनुसार, इन अभियानों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि तीर्थयात्रियों को हिंदू होटल और ढाबों से ही खाना मिले।
मुठभेड़ के दौरान तजम्मुल ने अपना नाम गोपाल बताया। जब उससे पहचान पत्र मांगा गया, तो उसने दावा किया कि उसका आधार कार्ड खो गया है और उसका फोन टूटा हुआ है। गुट समूह ने स्पष्टीकरण स्वीकार नहीं किया और बाद में वीडियो फुटेज में शारीरिक दुर्व्यवहार दिखाया गया।
हालांकि, इन लोगों ने उसके इन दावों नहीं माना। इसके बाद जो वीडियो फुटेज सामने आए, उसमें तजम्मुल के साथ दुर्व्यवहार करते दिखाया गया।
मुजफ्फरनगर पुलिस ने घटना से जुड़े छह लोगों को तलब किया है: सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश, जो सभी बघरा स्थित स्वामी यशवीर के योग साधना आश्रम से जुड़े हैं।
यह विवाद तब उठा, जब उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबों को फूड सेफ्टी लाइसेंस और मालिक की डिटेल लगानी होगी, जिसमें उन्हें अपनी धार्मिक पहचान भी बतानी होगी। जबकि राज्य सरकार का दावा है कि यह पारदर्शिता का मामला है, विपक्षी दलों का आरोप है कि यह सांप्रदायिकता को भड़काने के लिए किया गया है।