Credit Cards

Indian Railways: रेलवे ट्रैक पर क्यों बिछे होते हैं नुकीले पत्थर? वजह जान कर रह जाएंगे दंग

Facts about Railway: देशभर में रेलवे ट्रैक लगभग समान दिखते हैं और उनके नीचे नुकीले पत्थर बिछाए जाते हैं। आइए जानें कि ये पत्थर क्यों लगाए जाते हैं और इससे क्या फायदे होते हैं, जो रेलवे ट्रैक को मजबूत और सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं

अपडेटेड May 28, 2025 पर 1:02 PM
Story continues below Advertisement
Facts about Railway: रेल की पटरियों के नीचे कंक्रीट के बने ‘स्लीपर’ होते हैं।

भारतीय रेलवे देश की रफ्तार और जिंदगी का अहम हिस्सा है, जो हर रोज़ लाखों लोगों को जोड़ती है। ट्रेन में सफर करना आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेल पटरी के नीचे बिछाए गए पत्थर क्यों होते हैं? ये पत्थर सिर्फ जमीन को सजाने के लिए नहीं, बल्कि पटरियों की सुरक्षा और मजबूती के लिए बेहद जरूरी हैं। इनके बिना ट्रेन का चलना खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, रेलवे से जुड़ी और भी कई दिलचस्प बातें हैं, जैसे स्टेशन के नाम के पीछे ‘सेंट्रल’, ‘जंक्शन’ और ‘टर्मिनस’ का मतलब क्या होता है, या ट्रेन की सीटें टिकट की तरह क्यों नहीं मिलतीं।

ये सभी बातें रेलवे की दुनिया के अनजाने पहलू हैं। आज हम आपको रेलवे ट्रैक के नीचे पत्थरों की अहमियत और उनके पीछे छुपे वैज्ञानिक कारणों के बारे में बताएंगे, जो आपके रेल सफर को और भी सुरक्षित बनाते हैं।

पटरी के नीचे छिपा है एक मजबूत ढांचा


रेल की पटरियों के नीचे कंक्रीट के बने ‘स्लीपर’ होते हैं। ये स्लीपर सीधे जमीन पर नहीं रखे जाते, बल्कि इनके नीचे पत्थरों की एक परत होती है, जिसे बलास्ट (Ballast) कहा जाता है। इस बलास्ट के नीचे मिट्टी की दो परतें होती हैं, जो सारी संरचना को मजबूत आधार देती हैं। इन सब वजहों से रेलवे ट्रैक जमीन की सतह से थोड़ा ऊंचा बना रहता है।

नुकीले पत्थर

रेल पटरी पर जो पत्थर बिछाए जाते हैं, वे गोल नहीं बल्कि नुकीले और खुरदरे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गोल पत्थर एक-दूसरे से फिसल सकते हैं, जिससे पटरी हिल सकती है। नुकीले पत्थर एक-दूसरे में मजबूती से फंस जाते हैं और ट्रेन के भारी वजन को बखूबी सहारा देते हैं।

पत्थरों का मुख्य काम

एक ट्रेन का वजन लाखों किलो तक हो सकता है, जो केवल पटरियों से संभालना संभव नहीं है। लोहे की पटरी, कंक्रीट के स्लीपर और बलास्ट पत्थर मिलकर इस भारी वजन को सहारा देते हैं। खासतौर पर ये पत्थर स्लीपर को अपनी जगह से हिलने नहीं देते, जिससे पूरा ट्रैक मजबूती से खड़ा रहता है। 

कंपन रोकने और सुरक्षा बढ़ाने वाला बलास्ट

ट्रेन जब तेज गति से गुजरती है तो पटरियों में कंपन होता है, जिससे पटरियां फैलने लगती हैं। इन कंपन को कम करने और पटरियों को फैलने से बचाने का काम भी ये पत्थर करते हैं। बिना इन पत्थरों के स्लीपर अपनी जगह पर टिक नहीं पाते और ट्रैक कमजोर हो जाता है।

बरसात में भी इन पत्थरों की अहमियत

बारिश के मौसम में ट्रैक पर पानी जमा होने से पटरियां कमजोर हो सकती हैं। बलास्ट पत्थर बारिश का पानी जमीन में जल्दी सोख लेते हैं और जलभराव को रोकते हैं। इसके अलावा ये पत्थर बारिश में बहते भी नहीं हैं, जिससे पटरी की मजबूती बनी रहती है।

घास-फूस और पेड़-पौधों से बचाव

अगर पटरी के नीचे ये पत्थर न हों, तो ट्रैक पर घास-फूस और छोटे पेड़ उग सकते हैं, जो ट्रेन की आवाजाही में बाधा डालते हैं। इसलिए ये बलास्ट पत्थर न केवल मजबूती देते हैं बल्कि रेल पटरियों को साफ और बाधा मुक्त भी रखते हैं।

रेलवे स्टेशनों के नामों के पीछे छुपा राज

क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ रेलवे स्टेशनों के नाम के बाद ‘सेंट्रल’, ‘जंक्शन’ या ‘टर्मिनस’ लिखा होता है? ये शब्द रेलवे नेटवर्क की भूमिका और उस स्टेशन की महत्व को बताते हैं। ‘सेंट्रल’ मतलब वो स्टेशन मुख्य केंद्र होता है, ‘जंक्शन’ वह जगह जहां कई लाइनें मिलती हैं, और ‘टर्मिनस’ वह अंतिम स्टेशन होता है।

Covid-19 India Cases: भारत में कोरोना की दस्तक दोबारा! सावधानी जरूरी या घबराहट बेकार?

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।