Winter Solstice 2025: दिसंबर साल का आखिरी महीना होता है। ये कई मायनों में खास होता है। साल का आखिरी महीना होने के साथ इसमें कई प्रमुख दिन और त्योहार आते हैं, जैसे क्रिसमस का त्योहार। इसके अलावा इसी महीने में हर साल एक विचित्र खगोलीय घटना भी घटती है। ये है विंटर सोलस्टाइस यान शीत अयनांत। शीत अयनांत सिर्फ खगोल विज्ञान की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि कई संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में इसे नए आरंभ, ऊर्जाओं के संतुलन और प्रकृति की नई चक्र की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। ये ऐसा दिन होता, जो पलक झपकते ही बीत जाता है, लेकिन इसकी रात खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है। ये तारीख होती है 21 दिसंबर की और इस दिन धरती और सूरज के बीच की दूरी कुछ ऐसी होती है कि साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है। आइए जानें क्या होता है शीत अयनांत?
21 दिसंबर साल 2025 का सबसे छोटा दिन
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद भारद्वाज ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि 21 दिसंबर को सूर्य की स्थिति में बड़ा बदलाव होता है। इस दिन सूर्य बहुत कम समय के लिए दिखाई देता है। इसी कारण 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात वाला दिन होता है। 21 दिसंबर को दिन की अवधि करीब 10 घंटे के आसपास रहती है, जबकि रात करीब 13 घंटे से ज्यादा लंबी होती है। यानी दिन और रात के समय में करीब साढ़े तीन घंटे का अंतर होता है। साल 2025 में 21 दिसंबर को सूर्योदय लगभग सुबह 7 बजकर 14 मिनट पर होगा, जबकि सूर्यास्त करीब शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा।
साल में 4 बार होती है इस तरह की खगोलीय घटना
उन्होंने बताया कि साल में कुल 365 दिन होते हैं और आमतौर पर हर दिन 24 घंटे का होता है, लेकिन साल में चार दिन ऐसे होते हैं जो खगोलीय रूप से बहुत खास माने जाते हैं। इनमें 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर और 21 दिसंबर शामिल हैं। 21 जून को दिन सबसे लंबा होता है, जबकि 21 दिसंबर को रात सबसे लंबी होती है। वहीं 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन और रात की अवधि लगभग बराबर रहती है।
21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है, जिसे शीतकालीन अयनांत कहा जाता है। इस दिन पृथ्वी की धुरी झुकी हुई होने के कारण सूर्य की किरणें सीधे मकर रेखा पर पड़ती हैं। इसकी वजह से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य कम समय के लिए दिखाई देता है और रात लंबी हो जाती है। सूर्य का दक्षिणायन हर साल जून के महीने में शुरू होता है, जब दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगते हैं। दिसंबर में यह प्रक्रिया अपने चरम पर पहुंचती है। इसके बाद जनवरी के महीने में मकर संक्रांति के आसपास सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है। तब धीरे-धीरे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।