General Asim Munir: भारत के सैन्य ऑपरेशन में मिले झटकों के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को देश के सैन्य ढांचे में सबसे ऊंचे पद पर बैठाने की तैयारी कर ली है। शनिवार को सीनेट में 27वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया गया, जो सेना प्रमुख मुनीर के लिए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का नया पद सृजित करता है। यह बड़ा सैन्य पुनर्गठन ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तानी सेना के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय की कमी को उजागर कर दिया था।
एक ही मुट्ठी में होगी पूरी सेना की कमान
कानून मंत्री आजम नजीर तारार द्वारा सीनेट में पेश किए गए इस विधेयक में संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसका मुख्य लक्ष्य सेना, नौसेना और वायुसेना की कमान को एक ही अथॉरिटी के अधीन लाना है। इस प्रस्ताव के तहत, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख (COAS) और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) दोनों की नियुक्ति करेंगे।
CDF का पद सेना प्रमुख द्वारा एक साथ संभाला जाएगा, जिससे जनरल आसिम मुनीर तीनों सेनाओं के सभी अभियानों की देखरेख करेंगे, और इस तरह संपूर्ण सैन्य ढांचा उनके नियंत्रण में आ जाएगा। यह कानून चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के पद को भी समाप्त कर देगा, जब वर्तमान पदधारी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा इस नवंबर में सेवानिवृत्त होंगे।
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान खुलकर सामने आई थी पाक सेना की कमजोरी
यह महत्वपूर्ण पुनर्गठन भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' के ठीक बाद हुआ है, जिसने पाकिस्तान की सैन्य समन्वय में गंभीर कमियां उजागर कर दी थीं। 7 से 10 मई के बीच, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान-नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकी बुनियादी ढांचे पर लक्षित हमले किए। इन हमलों में कई रडार सिस्टम, रनवे और कमांड सेंटर नष्ट हो गए, और कई F-16 फाइटर जेट क्षतिग्रस्त हो गए। इन हमलों ने पाकिस्तान को इतना मजबूर कर दिया कि उनके मिलिट्री ऑपरेशंस के महानिदेशक (DGMO) को अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क करके शत्रुता समाप्त करने की गुहार लगानी पड़ी।
उस संघर्ष के तुरंत बाद इस्लामाबाद ने जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान के इतिहास में दूसरे फील्ड मार्शल के पद पर जल्दबाजी में पदोन्नत किया था, और भविष्य के टकरावों में 'समन्वय' सुधारने के लिए सैन्य शक्ति को एक नेता के अधीन करने हेतु सुधारों का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया था।
27वें संसोधन से और ताकतवर होंगे मुनीर!
यह नया संवैधानिक संशोधन न केवल जनरल मुनीर के फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नति को औपचारिक बनाता है, बल्कि उन्हें आजीवन विशेषाधिकार और वर्दीधारी का दर्जा भी प्रदान करता है। पाकिस्तानी कानून मंत्री तारार के अनुसार, फील्ड मार्शल का पद मानद है और इसे प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि केवल संसद द्वारा ही रद्द किया जा सकता है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रावधान मुनीर के पद को राजनीतिक निरीक्षण से प्रभावी रूप से बचाता है।
एक बार कानून बनने के बाद यह संशोधन मुनीर को पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली सैन्य व्यक्ति बना देगा, जिसमें सेना प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज और फील्ड मार्शल की भूमिकाएं संयुक्त होंगी, जिससे देश की शक्ति संरचना पर सेना की पकड़ और मजबूत हो जाएगी।
जल्दबाजी में लिया जा रहा फैसला: विपक्ष का आरोप
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अजरबैजान से वीडियो लिंक के माध्यम से कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की, जहां विधेयक को जल्दी से मंजूरी दी गई और फिर सीनेट में पेश किया गया। विपक्षी दलों पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) शामिल ने सरकार पर संसद के माध्यम से विधेयक को जल्दबाजी में पारित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, इसे सैन्य प्रभुत्व को मजबूत करने का प्रयास बताया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने रक्षा-संबंधी प्रावधानों के लिए आंशिक समर्थन की पेशकश की है, लेकिन 18वें संशोधन के तहत संरक्षित प्रांतीय स्वायत्तता को वापस लेने के खिलाफ चेतावनी दी है।