'दो दिन तक पीटा, भूखा रखा, ने सोने दिया' ऑस्ट्रेलिया के शख्स ने सुनाई चीन की जेल में यातना की पूरी कहानी
उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे डकैती के झूठे कबूलनामे पर साइन करवाए गए, क्योंकि उनसे कहा गया था कि चीन के कानूनी सिस्टम में अपनी बेगुनाही का दावा करना बेकार है, क्योंकि वहां दोषसिद्धि की दर 100% है। अदालती दस्तावेजों से पता चला कि इस कबूलनामे से उसकी सजा को घटाकर चार साल करने में मदद मिली
चीन की जेल की यातना, ऑस्ट्रेलिया के कैदी की जुबानी
ऑस्ट्रेलिया के एक शख्स मैथ्यू रडल्ज ने चीन की जेल में लगभग पांच साल बिताने के अपने दर्दनाक अनुभव को साझा किया, जहां उन्होंने अपने कठोर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दंड, जबरन मजदूरी और दयनीय जीवन के बारे में बताया। रडल्ज पहले बीजिंग में रहते थे। उन्होंने ने दावा किया कि 2020 में एक इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट में मोबाइल फोन स्क्रीन की तय कीमत को लेकर दुकानदारों के साथ झगड़े के बाद उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था।
BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे डकैती के झूठे कबूलनामे पर साइन करवाए गए, क्योंकि उनसे कहा गया था कि चीन के कानूनी सिस्टम में अपनी बेगुनाही का दावा करना बेकार है, क्योंकि वहां दोषसिद्धि की दर 100% है। अदालती दस्तावेजों से पता चला कि इस कबूलनामे से उसकी सजा को घटाकर चार साल करने में मदद मिली।
जनवरी 2020 में उन्हें बीजिंग नंबर 2 जेल में कैद कर दिया गया, जो इंटरनेशनल कैदियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फैसिलिटी है। रडल्ज को एक दर्जन और कैदियों के साथ एक गंदे सेल में रहने को मजबूर होना पड़ा। उन्हें सोने नहीं दिया जाता था। जबरन मजदूरी कराई जाती थी, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा।
चीन के जेल में कैसा है जीवन?
उन्होंने कहा, “जब मैं वहां पहुंचा तो मेरी हालत बहुत खराब थी। जिस पहले पुलिस स्टेशन में मैं गया, वहां उन्होंने मुझे दो दिन तक लगातार पीटा। मैं 48 घंटों तक न तो सोया, न ही कुछ खाया और न ही पानी पिया और फिर मुझे बहुत सारे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।”
वीडियो प्रोड्यूसर रडाल्ज ने बताया कि उन्हें कई महीनों तक एक अलग डिटेंशन सेंटर में रखा गया, जहां उन्हें कठोर "ट्रांजिशन फेज" से गुजरना पड़ा, जिसमें गंभीर शारीरिक दुर्व्यवहार, खाना न देना और मेंटली टॉर्चर करना शामिल था।
उन्होंने BBC को बताया, "हमें नहाने या खुद को साफ करने से मना कर दिया गया था, कभी-कभी तो महीनों तक। यहां तक कि टॉयलेट का इस्तेमाल भी केवल तय समय पर ही किया जा सकता था, और वे गंदे थे - ऊपर के टॉयलेट से लगातार वेस्ट हमारे ऊपर टपकता रहता था।"
बाद में उन्हें रेगुलर जेल में शिफ्ट कर दिया गया, जहां कैदियों को भीड़भाड़ वाली कोठरियों में ठूंस दिया जाता था और 24×7 रोशनी लाइट रहती थी। उन्होंने बताया कि कैदी एक ही कमरे में सोते और खाते थे।
हालांकि, कैदियों में ज्यादातर अफ्रीकी और पाकिस्तानी कैदी थे, लेकिन उनमें से कुछ अफगानिस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका, उत्तर कोरिया और ताइवान से भी थे, जिनमें से ज्यादातर को ड्रग तस्करी के लिए दोषी ठहराया गया था।
‘गुड बिहेवियर’ प्वाइंट सिस्टम
राडल्ज ने चीन की जेलों में “गुड बिहेवियर प्वाइंट सिस्टम” का भी खुलासा किया, जो किसी की सजा कम करने का एक तरीका था। कैदी कम्युनिस्ट पार्टी के साहित्य का पढ़ाई करने, जेल की फैक्ट्री में काम करने और दूसरे कैदियों की जासूसी करने जैसी गतिविधियों के जरिए हर महीने अधिकतम 100 गुड बिहेवियर प्वाइंट हासिल कर सकते थे।
हालांकि, किसी कैदी की सजा तभी कम की जाएगी जब वह 4,200 से ज्यादा अंक जमा कर लेगा - इसका मतलब है कि उसे साढ़े तीन साल तक हर महीने अधिकतम अंक हासिल करने होंगे। राडल्ज के अनुसार, यह मनोवैज्ञानिक यातना और हेरफेर का एक तरीका था।
उन्होंने बताया कि जब कोई कैदी अपनी सजा के करीब होता है, तो गार्ड उसके अंक काट लेते हैं, क्योंकि वे छोटी-मोटी 'उल्लंघन' करते हैं - जैसे खाना इकट्ठा करना या शेयर करना, 'गलत तरीके से' चलना, बिस्तर पर मोजे गलत तरीके से लटकाना और खिड़की के बहुत करीब खड़ा होना।