EU: यूरोपीय संघ (EU) के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग को नहीं मानेगा, जिसमें उन्होंने रूस से तेल खरीदने वाले मुख्य देशों, भारत और चीन पर भारी टैरिफ लगाने का आग्रह किया था। सूत्रों के मुताबिक, EU का ऐसा कोई कदम उठाने का इरादा नहीं है, क्योंकि इससे रूस पर दबाव बनाने की बजाय कई अन्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।
यूरोपीय संघ टैरिफ क्यों नहीं लगाएगा?
EU सूत्रों ने बताया कि टैरिफ और सैंक्शन दोनों अलग-अलग चीजें है। टैरिफ लगाने से पहले एक लंबी कानूनी जांच करनी पड़ती है, जिसमें महीनों का समय लगता है। सूत्रों के अनुसार, अभी तक भारत या चीन पर संभावित टैरिफ को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। इसके अलावा यूरोपीय संघ भारत के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जिसे वह खतरे में नहीं डालना चाहेगा।
वैसे यूरोपीय संघ पहले ही रूस पर कई प्रतिबंध लगा चुका है। हाल ही में जुलाई के पैकेज में EU ने दो चीनी बैंकों और एक प्रमुख भारतीय रिफाइनरी को भी प्रतिबंधों की सूची में शामिल किया था। हालांकि, EU ने अब तक केवल रूस और बेलारूस के उर्वरकों और कृषि उत्पादों पर ही टैरिफ लगाए है। अधिकारियों का कहना है कि वे किसी विशेष इकाई पर प्रतिबंध लगाना पसंद करते है, ताकि अगर वह इकाई रूस के साथ व्यापार बंद कर दे तो उसे सूची से हटाया जा सके।
क्या होगी EU की अगली कार्रवाई?
जानकारी के अनुसार, यूरोपीय संघ जल्द ही अपने 19वें प्रतिबंध पैकेज में दो मध्य एशियाई देशों के बैंकों के साथ-साथ कुछ चीनी रिफाइनरियों को भी प्रतिबंधित करने की योजना बना रहा है।