साल 2025 का नोबेल पुरस्कार चिकित्सा के क्षेत्र में तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन साकागुची को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सहनशीलता यानी पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस से जुड़ी खोजों के लिए इस साल का नोबेल चिकित्सा पुरस्कार मिला है।
बता दें कि, इस साल मेडिसिन का नोबेल जीतने वाली मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल अमेरिका जबकि शिमोन साकागुची जापान के हैं। इन्हें यह पुरस्कार शरीर की रक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को बेहतर समझने की खोज के लिए मिला है।
क्या है पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस
बात दें कि साल 2025 में मेडिसिन का पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस पर रिसर्च के लिए मिला है।पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस का मतलब हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम के उस व्यवहार को कहते हैं जिसमें वह स्वयं के टिशू पर हमला नहीं करता है। इस काम से कैंसर के इलाज और अंग ट्रांसप्लांट को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी। नोबेल कमेटी ने कहा- इनकी खोज ने चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा दी। 1901 से 115 मेडिसिन के नोबेल प्राइज दिए जा चुके हैं। सबसे युवा मेडिसिन नोबेल विनर 31 वर्षीय फ्रेडरिक बैंटिंग थे।
फिजियोलॉजी या मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार के पिछले विजेताओं में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक शामिल रहे हैं, जिनमें अलेक्जेंडर फ्लेमिंग भी हैं। उन्हें 1945 में पेनिसिलिन की खोज के लिए यह सम्मान मिला था। हाल के वर्षों में यह पुरस्कार उन वैज्ञानिक उपलब्धियों को दिया गया है, जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीन के विकास जैसी बड़ी खोजों में योगदान दिया। पिछले साल यह पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला था। उन्होंने माइक्रोआरएनए की खोज की थी और यह बताया था कि यह जीवों के विकास और कोशिकाओं के कामकाज में कितना अहम रोल निभाता है। उनकी इस खोज से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली कि कोशिकाएँ अलग-अलग प्रकारों में कैसे विकसित और विशेषज्ञ बनती हैं।