French PM Resigns: फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने सोमवार (6 अक्टूबर) को अपने नए मंत्रिमंडल की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद ही इस्तीफा दे दिया। फ्रांस में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के कारण उन्हें पीएम पद की शपथ लेने के एक महीने के अंदर ही इस्तीफा देना पड़ा है। उन्होंने 9 सितंबर, 2025 को फ्रांस के नए प्रधानमंत्री के दौर पर पदभार ग्रहण किया था। न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' ने बताया कि लेकोर्नू के इस्तीफे के बाद सहयोगियों और विरोधियों दोनों की ओर से बढ़ते दबाव के बाद उनकी सरकार गिराने की धमकी दी गई।
इससे एक दिन पहले रविवार को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी सहयोगी सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने मंत्रियों की नियुक्ति की थी। जबकि मंत्रिमंडल की पहली बैठक आज यानी सोमवार दोपहर को होनी थी। हालांकि, नए मंत्रिमंडल ने कई लोगों को नाराज कर दिया। आलोचकों का तर्क था कि यह या तो बहुत दक्षिणपंथी है या पर्याप्त रूप से दक्षिणपंथी नहीं है। इससे कैबिनेट के लंबे समय तक चलने पर संदेह पैदा हो रहा है।
फ़्रांस पहले से ही एक राजनीतिक संकट में फंसा हुआ था। लेकोर्नू ने सोमवार सुबह मैक्रों को अपना इस्तीफा सौंप दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "श्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपनी सरकार का इस्तीफ़ा गणराज्य के राष्ट्रपति को सौंप दिया है, जिन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।" लेकोर्नु केवल दो वर्षों में मैक्रों के पांचवें प्रधानमंत्री बन गए।
सबसे कम समय पद पर रहने वाले पीएम बने लेकोर्नू
लेकोर्नू को सुबह 10:45 बजे (पेरिस समय) एक सार्वजनिक बयान देना था। इस बीच, दक्षिणपंथी रैसम्बलमेंट नेशनल (RN) के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने जल्द से जल्द चुनावों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "चुनावों और असेंबली नेशनले को भंग किए बिना स्थिरता नहीं आ सकती।" स्थानीय मीडिया के मुताबिक वामपंथी ला फ्रांस इनसोमिसे (LFI) पार्टी के नेता जीन-ल्यूक मेलेंचन ने मैक्रों को पद से हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की मांग की है।
एलएफआई की एक प्रमुख सदस्य मथिल्डे पैनोट ने लेकोर्नू के इस्तीफे के बाद मैक्रों के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, "उलटी गिनती शुरू हो गई है। मैक्रों को जाना ही होगा।" सितंबर की शुरुआत में, मैक्रों ने गहराते राजनीतिक संकट को कम करने के लिए ही 39 वर्षीय लेकोर्नु को अपने राष्ट्रपति कार्यकाल का सातवां प्रधानमंत्री नियुक्त किया। फ्रांसीसी राजनीति तब से उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है।
फ्रांसीसी दैनिक 'ली मोन्डे' के मुताबिक, लेकोर्नू के दो पूर्ववर्ती, बायरू और मिशेल बार्नियर बजट को लेकर काफी सवालों के घेरे में आए थे। पिछले एक महीने से, लेकोर्नू ने मध्यमार्गी सहयोगियों और विपक्षी नेताओं, वामपंथी और दक्षिणपंथी, दोनों के साथ काफी मंथन किया। किसी भी पार्टी के पास अपने दम पर शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। अधिकांश वामपंथी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने की घोषणा की थी, और मरीन ले पेन की दक्षिणपंथी पार्टी ने भी समर्थन करने की धमकी दी थी।