Hong Kong Fire: 7 बिल्डिंग, 31 मंजिल और 2000 से ज्यादा फ्लैट... बांस और प्लास्टिक से फैली ऐसे फाली आग, सब जलकर हो गया राख!
Hong Kong Wang Fuk Court Fire: कुछ ही मिनटों में आग इतनी बेकाबू हो गई कि हांगकांग का फायर अलर्ट सीधे अपने सबसे ऊंचे लेवल-5 वॉर्निंग तक पहुंच गया। ये लेवल सिर्फ सबसे खतरनाक और जानलेवा आग के लिए ही जारी होता है। बुधवार दोपहर 2:51 बजे आग की पहली सूचना मिली और कुछ ही देर में यह भीषण रूप ले गई
Hong Kong Fire: 7 बिल्डिंग, 31 मंजिल और 2000 से ज्यादा फ्लैट... बांस और प्लास्टिक से फैली ऐसी फाल आग, हो गया सब राख
28 नवंबर दिन बुधवार, किसी आम दिन की तरह ही हांगकांग के लोग अपनी दिनचर्या में बिजी थे, लेकिन अचानक ही यहां की शांत दोपहर किसी हॉरर फिल्म के सीन में बदल गई- आसमान चीरते काले धुएं के गुबार, हवा में उड़ती आग की लपटें, और जमीन पर गिरता जलता हुआ मलबा। वांग फुक कोर्ट की शांत रिहायशी इमारतें देखते ही देखते आग की गिरफ्त में आ गईं। नीचे फायर फाइटर, पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का शोर गूंज रहा था, और ऊपर से गिरता जलता हुआ स्कैफोल्डिंग और भी डरावना लग रहा है था।
कुछ ही मिनटों में आग इतनी बेकाबू हो गई कि हांगकांग का फायर अलर्ट सीधे अपने सबसे ऊंचे लेवल-5 वॉर्निंग तक पहुंच गया। ये लेवल सिर्फ सबसे खतरनाक और जानलेवा आग के लिए ही जारी होता है।
बुधवार दोपहर 2:51 बजे आग की पहली सूचना मिली और कुछ ही देर में यह भीषण रूप ले गई। वांग फुक कोर्ट में उठते काले धुएं के विशाल गुबार आसमान में ऊंचाई तक फैल गए, और आग तेजी से पूरी सोसाइटी के आठ में से सात ब्लॉकों यानी सात बिल्डिंगों तक पहुंच गई। हर ब्लॉक में 31 मंजिल थीं।
इन आठ ब्लॉक में 2000 से ज्यादा फ्लैट थे और इनमें 4600 से ज्यादा लोग रहते थे। आग ऐसे समय लगी, जब पूरे कॉम्पलैक्स में रेनोवेशन का काम चल रहा था। आग कैसे लगी इसका अभी सही तरीक से कोई ठोस कारण तो सामने नहीं आया, लेकिन ये इतने बड़े स्तर तक कैसे फैली उसके कई कारण हैं- पहला बिल्डिंग के बाहर लगे बांस स्कैफोल्डिंग, जो कंस्ट्रक्शन के काम के दौरान बिल्डिंग के बाहर बांस का ढांचा बनाया जाता है, कहीं कहीं इस आम भाषा में पैड बांधना भी कहते हैं।
दूसरा बिल्डिंग पर लगी ग्रीन नेटिंग, जो कंस्ट्रक्शन के दौरान साइट को कवर करने के लिए लगाया जाता है। तीसरा- हर फ्लोर पर लिफ्ट विंडो पर लगाया गया स्टायरोफोम (फोम मटेरियल), जो काफी तेजी से आग पकड़ता है। स्टायरोफोम दिखने में थर्माकोल जैसा होता है, लेकिन उसे ज्यादा ठोस और मजबूत होता है।
स्टायरोफोम ने कैसे पकड़ी आग?
स्टायरोफोम पॉलीस्टाइरीन से बनता है, जो पेट्रोलियम से तैयार होने वाला एक प्लास्टिक है। इसका इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन, इंसुलेशन और फूड पैकेजिंग में बहुत आम है। हालांकि, यरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने इसे फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं:
यह नॉन-बायोडिग्रेडेबल यानी नष्ट न होने वाला पदार्थ है।
इससे कैंसर होने की आशंका जताई गई है।
स्टायरोफोम की एक खासियत यह है कि यह कम तापमान पर ही आग पकड़ लेता है और तेजी से जलता है। इसके जलने पर गाढ़ा काला धुआं और जहरीली गैस- जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, निकलती हैं।
स्टायरोफोम में हवा की मात्रा बहुत ज्यादा होती है- कुछ आकलनों के मुताबिक इसमें 95 से 98% हवा होती है। यही वजह है कि यह बेहद हल्का और तैरने वाला होता है, लेकिन इसका यही स्ट्रक्चर आग को बहुत तेजी से फैलाने में भी मदद करता है।
इसके अलावा कंस्ट्रक्शन के दौरान बांस के ढाचे यानी स्कैफोल्डिंग को लेकर भी बहस छिड़ गई है। इसका इतिहास करीब 2,000 साल पुराना है- यह हान वंश (Han Dynasty) के समय से इस्तेमाल होती आ रही है। हांगकांग में तो इसका इस्तेमाल शहर की कुछ सबसे ऊंची और मशहूर इमारतों को बनाने में भी किया गया, जैसे नॉर्मन फोस्टर की डिजाइन किया गया HSBC हेडक्वार्टर।
हालांकि यह हांगकांग की एक पुरानी और गौरवशाली परंपरा मानी जाती है, लेकिन हाल के सालों में इसकी आग पकड़ने की क्षमता और समय के साथ कमजोर हो जाने जैसी वजहों से इस पर सवाल उठने लगे हैं।
इसके बावजूद, ऐसे हादसे हांगकांग में बेहद दुर्लभ हैं। हाई लेवल की कंस्ट्रक्शन क्वालिटी और बिल्डिंग नियमों के कड़े अनुपालन के कारण शहर की बिल्डिंग सेफ्टी का रिकॉर्ड दुनिया में सबसे बेहतर माना जाता है।
घंटे दर घंटे फैलती गई आग
पुलिस का कहना है कि उन्हें लगातार कॉल मिल रही थीं कि कई लोग उस इमारत में फंसे हुए हैं जहां आग शुरू हुई थी। आग को शुरू में लेवल-1 अलर्ट पर रखा गया, लेकिन हालात बिगड़ते ही दोपहर 3:34 बजे इसे नंबर- 4 और फिर शाम 6:22 बजे सबसे गंभीर लेवल यानी नंबर 5 पर बढ़ा दिया गया। हांगकांग में आग की गंभीरता 1 से 5 के पैमाने पर मापी जाती है, जहां नंबर बढ़ने का मतलब खतरा बढ़ना होता है।
घटना स्थल से मिले वीडियो में दिखता है कि इमारत के कई फ्लैट्स के बाहर लगी बांस की स्कैफोल्डिंग आग की लपटों में घिरी हुई थी, और हरी जालीदार स्कैफोल्डिंग के जले हुए हिस्से नीचे गिरते दिख रहे थे।
हांगकांग में ऐसी स्कैफोल्डिंग का इस्तेमाल आमतौर पर निर्माण और मरम्मत काम में किया जाता है। आग कैसे लगी- इसके कई संभावित कारणों की जांच की जा रही है। अधिकारियों ने कहा है कि वे इस मामले की पूरी तरह जांच करेंगे, जिसमें आपराधिक जांच भी शामिल है।
इस हादसे में अब तक कम से कम 55 लोगों की जान चली गई, जिसमें एक 37 साल का फायरफाइटर भी शामिल है। 77 लोग घायल हैं, जिसमें 17 की हालत गंभीर बनी हुई है। 279 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। 900 से ज्यादा लोगों 8 शेल्टर में शरण ली हुई है।
तीन शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। ये सभी उस इंजीनियरिंग कंपनी से जुड़े हैं, जो टावर कॉम्प्लेक्स का रेनोवेशन कर रही थी। शुरुआती जांच में यह मामला गैर-इरादतन हत्या (manslaughter) से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि आग पर लगभग पूरी तरह काबू पा लिया गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 1200 से ज्यादा फायरफाइटर और 300 से ज्यादा गाड़ियों ने 15 घंटों से ज्यादा की कड़ी मशक्कत के बाद सफलता हासिल की।
ये आग शहर के इतिहास की दशकों बाद सबसे घातक आग बन गई, जिसमें 55 से ज्यादा मौतें हुईं। इससे पहले नवंबर 1996 के गरलेह पार्क कमर्शियल बिल्डिंग में भी आग लगी थी, जहां 41 लोग मारे गए थे और आग करीब 20 घंटे तक सुलगती रही।