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Howard Marks ने ट्रंप टैरिफ की तुलना ब्रेग्जिट से की, कहा-ट्रंप ने अपने ही गोलपोस्ट में गोल मार दिया

Howard Marks ने कहा कि ट्रंप अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने, एक्सपोर्ट बढ़ाने, इंपोर्ट घटाने, ट्रेड डेफिसिट कम करने और अमेरिकी सरकार की इनकम बढ़ाने के लिए टैरिफ को हथियार बनाया है। लेकिन, इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं

अपडेटेड Apr 10, 2025 पर 4:23 PM
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मार्क्स ने कहा कि अमेरिका में चीन और दूसरे देशों की तरह स्किल्ड वर्कर्स नहीं हैं। ऐसे में अमेरिकी लोगों की जरूरत के लिए चीजों का उत्पादन करना मुश्किल है।

ओकट्री कैपिटल के होवार्ड मार्क्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले की तुलना ब्रेग्जिट से की है। उन्होंने कहा कि दरअसल ट्रंप ने अपने ही गोलपोस्ट में गोल कर दिया है। उन्होंने इसके गंभीर नतीजों को लेकर आगाह किया। ट्रंप ने इस साल 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। तब से उनका सबसे ज्यादा फोकस टैरिफ लगाने पर रहा है। इसका खराब असर अमेरिका सहित दुनियाभर के स्टॉक्स मार्केट्स पर पड़ा है। बताया जाता है कि टैरिफ से अमेरिकी इकोनॉमी मंदी में चली जाएगी। वैश्विक अर्थव्यस्था की ग्रोथ भी सुस्त पड़ जाएगी। कमोडिटी और दूसरी जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से दुनियाभर के लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

टैरिफ लगाने के पीछे ट्रंप का मकसद

Howard Marks ने कहा कि ट्रंप अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने, एक्सपोर्ट बढ़ाने, इंपोर्ट घटाने, ट्रेड डेफिसिट कम करने और अमेरिकी सरकार की इनकम बढ़ाने के लिए टैरिफ (reciprocal tariff) को हथियार बनाया है। लेकिन, इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। दूसरे देश जवाबी कार्रवाई में टैरिफ बढ़ाने का ऐलान कर सकते हैं। इससे इनफ्लेशन बढ़ेगा, कंजम्प्शन घटेगा, नौकरियां खत्म होंगी जिससे दुनिया में मंदी आएगी। इससे ग्लोबल ट्रेड को बड़ा झटका लगेगा।


अमेरिका में जल्द मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना नामुमकिन

उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप की कोशिशों से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग लौटती है तो वहां इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे इस बात को लेकर संदेह है कि अमेरिका में ऐसी फैक्ट्री है, जिसमें टीवी और कंप्यूटर्स के लिए फ्लैट स्क्रीन का उत्पादन हो सकता है। अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता तैयार करने में कई साल लग सकते हैं। इस बीच अमेरिका में चीजों की कमी हो सकती है या चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं।"

अमेरिकी लोगों को सस्ते आयात से फायदा

मार्क्स ने कहा कि अमेरिका में चीन और दूसरे देशों की तरह स्किल्ड वर्कर्स नहीं हैं। ऐसे में अमेरिकी लोगों की जरूरत के लिए चीजों का उत्पादन करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि अब तक अमेरिकी लोग इंपोर्टेड चीजें इसलिए खरीदते रहे हैं क्योंकि वे सस्ते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अमेरिकी लोगों का लाइफ स्टैंडर्ड इसलिए हाई रहा है, क्योंकि अमेरिका सस्ते लेबर वाले देशों से कम कीमत वाले गुड्स इंपोर्ट करता रहा है।

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ब्रेग्जिट जैसे गंभीर नतीजों का सामना करना पड़ सकता है

ट्रंप के टैरिफ के कदम की तुलना उन्होंने सेल्फ गोल से की। सेल्फ गोल का मतलब किसी टीम के खिलाड़ी के अपने ही गोलपोस्ट में गोल कर देने से है। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले तक अमेरिकी इकोनॉमी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। अमेरिकी इकोनॉमी में भरोसा लौट रहा था। लेकिन, ट्रंप की पॉलिसी से अमेरिकी इकोनॉमी के मंदी में जाने की आशंका जताई जा रही है। उन्होंने ट्रंप टैरिफ की तुलना ब्रेग्जिट से भी की। 1916 में ब्रेग्जिट पर जनमत संग्रह का फैसला ऐसा था, जिससे बाद में ब्रिटेन और यूरोप दोनों को ही काफी नुकसा उठाना पड़ा था। इस नुकसान की भरपाई में कई साल लग गए थे।

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