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Trump Tariffs News: ट्रंप आखिर यू-टर्न लेने को क्यों मजबूर हो गए? जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

Trump Tariff: इंडिया में कुछ एनालिस्ट्स ने टैरिफ पर ट्रंप के नरमी दिखाने का अनुमान जताया था। 8 अप्रैल को तो अमेरिका में टैरिफ टलने की फर्जी खबर से स्टॉक मार्केट्स में जोरदार तेजी भी देखने को मिली थी। हालांकि, व्हाइट हाउस के इस खबर का खंडन करने के बाद मार्केट्स गिर गए थे

अपडेटेड Apr 10, 2025 पर 2:43 PM
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डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही अपने सहयोगियों के समझाने पर यह फैसला लिया, लेकिन उनके एक सीनियर मंत्री ने मीडिया से इसे पूरी तरह से छुपाने की कोशिश की।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ पर यू-टर्न ले लिया है। इसका ऐलान उन्होंने भारतीय समय के मुताबिक 9 अप्रैल को देर रात किया। उन्होंने कहा कि 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ 90 दिनों के लिए टाल दिया गया है। हालांकि, उन्होंने चीन को टैरिफ में किसी तरह की रियायत नहीं दी है। ट्रंप के इस ऐलान से स्टॉक मार्केट्स में जोरदार तेजी दिखी। अमेरिकी मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक तो 10 फीसदी से ज्यादा उछल गए। 10 अप्रैल को एशियाई बाजारों को भी पंख लग गए। 10 अप्रैल को महावारी जयंती के उपलक्ष्य में इंडियन मार्केट्स बंद हैं। ट्रंप के टैरिफ 90 दिनों के लिए टाल देने से इंडियन मार्केट्स में भी 11 अप्रैल को जोरदार तेजी के साथ खुलने की उम्मीद है। सवाल है कि आखिर ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने के कुछ ही घंटों बाद यू-टर्न लेने को क्यों मजबूर हो गए?

कुछ एनालिस्ट्स ने टैरिफ टलने का अनुमान जताया था

इंडिया में कुछ एनालिस्ट्स ने ट्रंप (Donald Trump) के नरमी दिखाने का अनुमान जताया था। 8 अप्रैल को तो अमेरिका में टैरिफ (Trump Tariff) टलने की फर्जी खबर से स्टॉक मार्केट्स में जोरदार तेजी भी देखने को मिली थी। हालांकि, व्हाइट हाउस के इस खबर का खंडन करने के बाद मार्केट्स गिर गए थे। ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ भले ही 90 दिनों के लिए टाल दिया है। लेकिन, उन्होनें 10 फीसदी के बेस टैरिफ को जारी रखा है। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाया है।


ट्रंप के लिए चीन के खिलाफ बड़ा हथियार बना गया है टैरिफ

ट्रंप का यह टैरिफ चीन पर अमेरिका के निशाना साधने का जरिया बन गया है। पहले अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले गुड्स 20 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। उसके बाद 3 अप्रैल को अतिरिक्त 34 फीसदी टैरिफ लगा दिया। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी गुड्स पर 34 फीसदी जवाबी टैरिफ लगा दिया। ट्रंप इससे बुरी तरह से चिढ़ गए। उन्होंने चीन पर और 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया। इससे पहले कुल टैरिफ बढ़कर 84 फीसदी और बाद में 104 फीसदी तक पहुंच गया। 9 अप्रैल को एक तरफ ट्रंप ने कहा कि वह ज्यादातर देशों पर टैरिफ 90 दिनों के टालने जा रहे हैं वही दूसरी तरफ उन्होंने चीन पर 125 फीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया। अभी अमेरिकी गुड्स पर चीन का टैरिफ 84 फीसदी है।

सीनियर मंत्रियों के समझाने के बाद टैरिफ टालने को तैयार हुए ट्रंप

टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालने के ट्रंप के फैसले के पीछे कई वजहें हैं। पहला, टैरिफ वॉर शुरू होने से सबसे ज्यादा गिरावट अमेरिकी स्टॉक एक्सचेजों में आई है। इस वजह से ट्रंप पर निवेशकों और कंपनियों का दबाव काफी बढ़ गया था। ट्रंप ने कहा है कि वह पिछले कुछ दिनों से टैरिफ वापस लेने के बारे में सोच रहे थे। सच्चाई यह है कि उन्होंने यह फैसला खुद नहीं लिया। उन्होंने इस बारे में अपने कई सहयोगियों से बातचीत की। खासकर उन्होंने फाइनेंस मिनिस्टर स्कॉट बेसेंट और कॉमर्स मिनिस्टर होवार्ड लुंटिक से बातचीत की। बताया जाता है कि दोनों मंत्रियों ने उन्हें टैरिफ फिलहाल टालने की सलाह दी। माना जा रहा है कि यह फैसला काफी सुबह लिया गया।

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ट्रंप की जिद की बड़ी कीमत चुका रही है दुनिया

ट्रंप ने भले ही अपने सहयोगियों के समझाने पर यह फैसला लिया, लेकिन बेसेंट ने मीडिया से इसे पूरी तरह से छुपाने की कोशिश की। उन्होंने इस फैसले को ट्रंप के लिए बड़ी जीत बताया। लेकिन, यह समझ से परे हैं कि अपने ही फैसले को कुछ दिनों के लिए टाल देने के फैसले को जीता कैसे कहा जा सकता है। यह सही है कि टैरिफ को टालने के बाद ट्रंप के अधिकारियों को दूसरे देशों से इस बारे में बातचीत करने का समय मिल गया है। लेकिन, जल्दबाजी में ट्रंप जो फैसले लेते हैं, उसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है। जनवरी के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी रही है।

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