कॉलेज छोड़ 22 साल की उम्र में अरबपति बने भारत के ये युवा, तोड़ा मार्क जुकरबर्ग का रिकॉर्ड

इन तीनों की दोस्ती स्कूल के दिनों से शुरू हुई। सैन जोस के बेलार्माइन कॉलेज प्रिपरेटरी में आदर्श हीरेमठ और सूर्या मिधा कई डिबेट के चैंपियन रहे, वहीं आगे चलकर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात ब्रेंडन फूडी से हुई। भारतीय मूल के आदर्श हीरेमठ ने अपना पूरा ध्यान स्टार्टअप पर लगाने के लिए हार्वर्ड में की जा रही कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 3:15 PM
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कॉलेज ड्रॉपआउट्स 22 साल की उम्र में ही अरबपति बन गए हैं

कैलिफ़ोर्निया के तीन कॉलेज ड्रॉपआउट्स 22 साल की उम्र में ही अरबपति बन गए हैं और उन्होंने मार्क जकरबर्ग से भी एक साल पहले यह उपलब्धि हासिल कर ली है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, AI-ड्रिवन रिक्रूटमेंट स्टार्टअप मर्कॉर के फाउंडर ब्रेंडन फूडी, आदर्श हीरेमठ और सूर्या मिधा को अब दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति के रूप में शामिल किया गया है। उनकी कंपनी को हाल ही में 350 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जिससे उसका वैल्यूएशन 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

स्कूल के दोस्तों ने किया कमाल

जानकारी के मुताबिक, इन तीनों की दोस्ती स्कूल के दिनों से शुरू हुई। सैन जोस के बेलार्माइन कॉलेज प्रिपरेटरी में आदर्श हीरेमठ और सूर्या मिधा कई डिबेट के चैंपियन रहे, वहीं आगे चलकर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात ब्रेंडन फूडी से हुई। भारतीय मूल के आदर्श हीरेमठ ने अपना पूरा ध्यान स्टार्टअप पर लगाने के लिए हार्वर्ड में की जा रही कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।


ऐसे बदली पूरी जिंदगी

फोर्ब्स से बातचीत में उन्होंने बताया, “अगर मैं मर्कॉर पर काम नहीं कर रहा होता, तो कुछ महीने पहले ही कॉलेज से ग्रेजुएट हो चुका होता। इतनी कम समय में मेरी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई है।”

मिधा जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन्स पढ़ रहे थे और वहीं उनकी मुलाकात इकॉनॉमिक्स के छात्र फूडी से हुई। दोनों ने मिलकर मर्कॉर पर काम शुरू किया। जैसे ही स्टार्टअप ने पहचान बनानी शुरू की, मिधा और फूडी ने पढ़ाई छोड़कर हीरेमठ के साथ सिलिकॉन वैली में जुड़ने का फैसला लिया। यह कदम उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ और जल्द ही उनका स्टार्टअप तेजी से आगे बढ़ गया।

मिली थी 100,000 डॉलर की फेलोशिप 

ये तीनों युवा उद्यमी थील फेलो भी हैं। उन्हें अरबपति पीटर थील की तरफ से 100,000 डॉलर की फेलोशिप मिली है। यह फेलोशिप उन युवाओं को सपोर्ट करती है जो पढ़ाई छोड़कर नए और बदलाव लाने वाले आइडियाज़ को हकीकत में बदलना चाहते हैं। उनका स्टार्टअप मर्कॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से नौकरी चाहने वालों को सही कंपनियों से जोड़ता है। यह प्लेटफॉर्म हायरिंग प्रोसेस को आसान और स्मार्ट बनाने पर काम करता है और इसे दुनिया भर में भर्ती प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है। उनकी सफलता ऐसे समय में आई है जब टेक दुनिया तेजी से बदल रही है और नई पीढ़ी के स्टार्टअप्स बड़ी कंपनियों को चुनौती दे रहे हैं।

कुछ हफ्ते पहले ही 27 साल के शेन कोपलन भी अरबपति क्लब में शामिल हुए थे, जब इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज ने उनकी कंपनी पॉलीमार्केट में बड़ा निवेश किया। इससे पहले, 28 वर्षीय अलेक्जेंडर वांग (स्केल AI) सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति माने जाते थे। अब मर्कॉर के तीनों संस्थापकों ने यह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। सिर्फ 22 साल की उम्र में उन्होंने साबित कर दिया है कि सिलिकॉन वैली में बड़ी सफलता पाने का मतलब क्या होता है और कैसे एक नया आइडिया दुनिया को बदल सकता है।

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