इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ओर से प्रस्ताव रखे जाने के बाद उनका देश ईरान के साथ युद्धविराम पर सहमत हो गया है। नेतन्याहू ने डिफेंस में अपने देश का समर्थन करने और ईरानी परमाणु खतरे को खत्म करने में भाग लेने के लिए डोनाल्ड ट्रंप के प्रति आभार भी जताया।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रंप ने सोमवार को नेतन्याहू के साथ बातचीत के जरिए इजरायल और ईरान के बीच युद्ध विराम कराया, जबकि उपराष्ट्रपति जेडी वेंस सहित उनकी टीम ने तेहरान के साथ वार्ता की।
अधिकारी ने बताया कि वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ईरान के साथ डायरेक्ट और इनडायरेक्ट बातचीत में शामिल थे।
ट्रंप ने कहा था कि इजरायल और ईरान के बीच "पूर्ण और समग्र" युद्धविराम आने वाले कुछ घंटों में लागू हो जाएगा, यह बात दोनों पक्षों की ओर से नए हमलों की धमकी दिए जाने के कुछ ही देर बाद कही गई थी।
मध्य पूर्व संघर्ष और युद्ध विराम समझौता
ईरान ने अमेरिकी वायु सेना के अड्डे पर मिसाइलें दागीं, लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। यह घटना तब हुई जब अमेरिकी बॉम्बर विमानों ने वीकेंड में ईरान के अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर गिराए।
अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी हमलों के तुरंत बाद ट्रंप ने इजरायल और ईरान के साथ बातचीत का आह्वान किया। अधिकारी ने कहा, "उन्होंने शनिवार रात अपनी टीम को निर्देश दिया, चलो ईरानियों से फोन पर बात करते हैं।"
अधिकारी ने ट्रंप के हवाले से कहा, "Get me Bibi। हम शांति की शुरुआत करने जा रहे हैं।"
रॉयटर्स के अनुसार, ट्रंप की टीम ने संघर्ष से पहले के हफ्तों में ईरान के साथ पांच अलग-अलग मौकों पर बातचीत की थी, लेकिन बातचीत तब टूट गई, जब ईरान अपनी मांग से पीछे नहीं हटा कि वो यूरेनियम का इनरिचमेंट करता रहा।
19 जून को ट्रंप ने घोषणा की कि वह अमेरिकी सेना के एक्शन पर “दो हफ्ते के भीतर” निर्णय लेंगे, लेकिन 21 जून की दोपहर तक उन्होंने अमेरिका को ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी करने का आदेश दे दिया था।
ईरान की न्यूक्लियर साइट पर बमबारी करने का ट्रंप का निर्णय बड़ा ही चौंकाने वाला कदम था, क्योंकि वे शुरुआत से ही किसी भी बड़े विदेशी युद्ध में सैन्य हस्तक्षेप करने से बचते आए हैं।