ट्रंप के 'झूठ' का बम फूटा! ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने ज्यों के त्यों, US के हमलों में नहीं हुआ ज्यादा नुकसान, इंटेल रिपोर्ट से खुली पोल?
DIA की रिपोर्ट अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड की तरफ से हमले के बाद किए गए बैटल डैमेज असेसमेंट पर आधारित है। हालांकि, अभी भी यह आंकलन जारी है और इसमें भविष्य में बदलाव हो सकते हैं। लेकिन यह रिपोर्ट राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के दावों से मेल नहीं खाती। दोनों नेताओं ने दावा किया था कि ईरान की परमाणु क्षमताएं पूरी तरह "नेस्तनाबूद" कर दी गई हैं
ट्रंप के 'झूठ' का बम फूटा! ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने ज्यों के त्यों
पिछले हफ्ते अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमला किया था। लेकिन अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की शुरुआती रिपोर्ट कहती है कि इन हमलों से ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, बल्कि उसे केवल कुछ महीनों के लिए पीछे धकेला जा सका है। यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई थी, लेकिन CNN ने सात अलग-अलग सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट ये जानकारी दी है।
DIA की रिपोर्ट अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड की तरफ से हमले के बाद किए गए बैटल डैमेज असेसमेंट पर आधारित है। हालांकि, अभी भी यह आंकलन जारी है और इसमें भविष्य में बदलाव हो सकते हैं।
लेकिन यह रिपोर्ट राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के दावों से मेल नहीं खाती। दोनों नेताओं ने दावा किया था कि ईरान की परमाणु क्षमताएं पूरी तरह "नेस्तनाबूद" कर दी गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, ईरान के पास पहले से मौजूद एनरिच्ड यूरेनियम को अमेरिका के हमले से पहले ही दूसरी जगहों पर भेज दिया गया था और वहां की सेंट्रीफ्यूज मशीनें भी ज्यादातर सलामत हैं। ऐसे में DIA का मानना है कि इन हमलों से ईरान को कुछ महीनों की देरी ही हुई होगी, लेकिन न्यूक्लियर प्रोग्राम पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।
व्हाइट हाउस ने रिपोर्ट को खारिज किया
व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह गलत और गोपनीय जानकारी का लीक है। प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने CNN से कहा कि यह किसी 'लो-लेवल' अधिकारी का लीक है, जो ट्रंप की छवि को खराब करना चाहता है।
ट्रंप ने खुद "ट्रुथ सोशल" पर पोस्ट कर कहा कि यह इतिहास की सबसे सफल सैन्य कार्रवाई थी और ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, "जब 30,000 पाउंड के बम सही जगह गिरते हैं, तो तबाही निश्चित है।"
अभी भी पूरा आकलन बाकी है
हालांकि, अमेरिकी सेना का कहना है कि हमला सफल रहा, लेकिन खुफिया एजेंसियां अभी भी ईरान के भीतर से जानकारी इकट्ठा कर रही हैं, ताकि पूरी स्थिति का आकलन हो सके।
अमेरिका ने यह हमला ऐसे समय किया जब इजरायल पहले से ही ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर रहा था। लेकिन इजरायल को अमेरिका के शक्तिशाली बंकर-बस्टर बमों की जरूरत थी, ताकि ईरान के पहाड़ों की गहराई में बने ठिकाने भी नष्ट किए जा सकें।
हमले में अमेरिका ने B-2 बॉम्बर्स के जरिए 30,000 पाउंड के बम गिराए, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसी साइट पर जमीन के ऊपर के ढांचे तो नष्ट हुए, लेकिन अंदर की संवेदनशील तकनीकों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
इजरायल का दावा – दो साल का झटका, लेकिन...
इजरायल का मानना है कि इन हमलों से ईरान का परमाणु कार्यक्रम दो साल पीछे चला गया है, लेकिन यह भी तभी मुमकिन होगा, जब ईरान को दोबारा निर्माण की पूरी छूट मिले और इजरायल ऐसा नहीं होने देगा। हालांकि, हमले से पहले भी इजरायल ने यही दावा किया था कि उन्होंने ईरान को दो साल पीछे धकेल दिया है।
सियासी बहस भी तेज
अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल डैन केन ने साफ कहा कि अभी कोई ठोस निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। वहीं, रिपब्लिकन सांसद माइकल मैककॉल ने भी ट्रंप के "टोटल डिस्ट्रक्शन" वाले दावे का समर्थन नहीं किया और कहा कि यह योजना शुरू से ही स्थायी समाधान नहीं, अस्थायी झटका देने के लिए थी।
जानकारों का मानना है कि ईरान के पास कुछ गुप्त परमाणु ठिकाने भी हो सकते हैं, जिन्हें इन हमलों में निशाना नहीं बनाया गया और वे अब भी एक्टिव हैं।
ब्रीफिंग टली, विपक्ष का हमला
इस पूरे मामले पर अमेरिकी सांसदों के लिए तय की गई गोपनीय जानकारी देने वाली बैठक (classified briefing) भी अचानक रद्द कर दी गई, जिससे राजनीति और गर्म हो गई है। डेमोक्रेट सांसद पैट रयान ने कहा कि ट्रंप ने जानबूझकर ब्रीफिंग रद्द करवाई क्योंकि उनका दावा "टोटल डिस्ट्रक्शन" साबित नहीं किया जा सकता।
भले ही ट्रंप और उनके समर्थक कहें कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाह दिया गया है, लेकिन खुफिया रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय बताती है कि असली तस्वीर उतनी साफ नहीं है।