Sanae Takaichi: वैश्विक स्तर पर बढ़ते रूढ़िवाद और आप्रवासन विरोधी भावना के बीच साने ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। ताकाइची ने शनिवार को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के मुखिया का चुनाव जीता है, जिसके बाद उन्हें जापान का अगला प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो वो जापान के इतिहास की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी। 64 वर्षीय ताकाइची का राष्ट्र-हित को सर्वोपरि रखने का दृढ़ रुख मतदाताओं के बीच खासा चर्चित रहा है। खासकर आप्रवासन, प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और युद्ध के बाद के विवादास्पद संवैधानिक अनुच्छेद पर पुनर्विचार की उनकी मांग को लेकर।
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार, विश्लेषकों का मानना है कि ताकाइची का कठोर रुख उन मतदाताओं को वापस जीतने का एक प्रयास है जो राष्ट्रवादी सेंसेइतो पार्टी की ओर मुड़ गए थे, जिसने आप्रवासन विरोधी संदेशों से लोकप्रियता हासिल की है। आप्रवासन और अपराध को लेकर उनका सख्त दृष्टिकोण उनकी राजनीतिक पहचान का केंद्र है।
अमेरिका से भी मोर्चा लेने को तैयार!
'नेशन फर्स्ट' की सोच से प्रेरित ताकाइची अमेरिका के साथ चल रहे किसी भी व्यापार समझौते को जापान के लिए हानिकारक या अनुचित मानने पर अमेरिका से भी सीधा मोर्चा लेने को तैयार हैं। ताकाइची दिवंगत ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को अपनी राजनीतिक आदर्श मानती हैं, जिन्हें 'आयरन लेडी' उपनाम दिया गया था।
आबे का समर्थन और आर्थिक नीति
ताकाइची का उदय सीधे तौर पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे से उनके जुड़ाव से संबंधित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबे को 'भारत का प्रिय मित्र' बताया था। आबे ने अपने कार्यकाल के दौरान ताकाइची को पार्टी के प्रमुख पदों पर नियुक्त किया था, और वह LDP के रूढ़िवादी सदस्यों के बीच मजबूत समर्थन रखती हैं। आर्थिक मोर्चे पर ताकाइची अपने दिवंगत मेंटर आबे की 'एबेनॉमिक्स' नीतियों को दोहराते हुए मौद्रिक ढील और बड़े राजकोषीय खर्च का समर्थन करती हैं।
लैंगिक समानता पर ये है रुख
भले ही एक महिला का नेता बनना लैंगिक प्रतिनिधित्व के लिए एक मील का पत्थर हो, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि ताकाइची को नारीवादी उम्मीदवार के रूप में नहीं देखा जाता है। टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस सदाफुमी कावाटो के अनुसार, उनका चुनाव 'राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के लिए एक कदम आगे होगा,' लेकिन उन्होंने मौजूदा पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती देने में बहुत कम रुचि दिखाई है।
ताकाइची लैंगिक मुद्दों पर पहले से ही रूढ़िवादी पार्टी के राइटविंग में हैं। वह 19वीं सदी के उस कानून में बदलाव का विरोध करती हैं जिसके तहत विवाहित जोड़ों को एक ही उपनाम साझा करना अनिवार्य है। बता दें कि यह नियम ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करता है। हालांकि, ताकाइची ने अपने मंत्रिमंडल में लैंगिक संतुलन को 'नॉर्डिक' स्तर तक सुधारने का वादा किया है, जिसका तात्पर्य आइसलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में महिलाओं के उच्च प्रतिनिधित्व से है।
ताकाइची का नेतृत्व LDP के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय में आया है, जब पार्टी इन्फ्लेशन और हाल के घोटालों को लेकर मतदाताओं के असंतोष का सामना कर रही है।