जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इस बीच इस्लामाबाद के विदेश मंत्री इशाक डार ने खुद ही ये कबूलनामा कर लिया कि इस हमले में पाकिस्तान का ही हाथ है। क्योंकि डार ने पहलगाम के हमलावरों को 'स्वतंत्रता सेनानी' बताया। पड़ोसी देश के उप प्रधानमंत्री डार ने गुरुवार को कहा, "22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम जिले में हमले करने वाले लोग स्वतंत्रता सेनानी हो सकते हैं।"
डार का ये बयान ऐसे समय आया है, जब एक दिन पहले ही नई दिल्ली ने आतंकवादी हमले के बाद इस्लामाबाद के खिलाफ एक बड़ा कूटनीतिक पलटवार करते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था।
बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। भारत ने पाकिस्तानियों को जारी किए गए सभी वीजा भी रद्द कर दिए, जिनमें मेडिकल वीजा भी शामिल हैं।
संधि पर भारत के बड़े कदम पर बोलते हुए डार ने कहा कि यह एक "युद्ध की कार्रवाई" के बराबर है।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में 2.4 करोड़ लोगों को पानी की जरूरत है। आप इसे रोक नहीं सकते। यह युद्ध की कार्रवाई के बराबर है। किसी भी तरह का निलंबन या अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जाएगा।" उन्होंने पाकिस्तान पर भारत के हमले का जवाब "जैसे को तैसा" देने की धमकी दी।
इसी तरह के एक बयान में पाकिस्तानी सरकार ने भी कहा है कि पानी को मोड़ना भारत की तरफ से युद्ध की कार्रवाई (Act of War) मानी जाएगी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NCS) की बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया, "सिंधु जल संधि के अनुसार पाकिस्तान के पानी को रोकने या मोड़ने और निचले तटवर्ती इलाकों के अधिकारों के हनन का कोई भी प्रयास युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।"
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने धमकी दी कि अगर पाकिस्तानियों को नुकसान पहुंचाया गया, तो वे भारत को भी नुकसान पहुंचाएंगे।
उन्होंने पहले कहा था, "हम उन्हें इसकी कीमत चुकाने पर मजबूर करेंगे। अगर भारत हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाता है, तो भारतीय नागरिक भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। यह जैसे को तैसा होगा।"
मंगलवार (22 अप्रैल) को आतंकवादियों ने लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन मीडोज पर एक घातक हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें से ज़्यादातर पर्यटक थे। प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक समूह ने हत्याओं की ज़िम्मेदारी ली है।