इस्तांबुल में पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति वार्ता हुई फेल! क्यों और कैसे बिगड़ी बात?

Pakistan Afghan Peace Talk: सूत्रों ने अफगान तालिबान के हवाले से कहा, "अफगान तालिबान ने पाकिस्तान की अव्यवहारिक और असंगत मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का किसी भी आतंकवादी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है

अपडेटेड Oct 28, 2025 पर 8:55 PM
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Afghanistan-Pakistan Peace Talk: इस्तांबुल में पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति वार्ता हुई फेल! क्यों और कैसे बिगड़ी बात?

पाकिस्तान-अफगानिस्तान शांति वार्ता, जो इस्तांबुल में दोनों देशों के बीच झड़पों के बीच हो रही थी, विफल हो गई। News18 सूत्रों के हवाले से बताया, "अफगान तालिबान ने सहयोग का आश्वासन दिया, लेकिन पाकिस्तान ने लिखित गारंटी और सुरक्षा तंत्र की मांग की।" सूत्रों के अनुसार अफगान तालिबान ने कतर और तुर्की के मध्यस्थों से कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पाकिस्तान का आंतरिक सुरक्षा मुद्दा है।

सूत्रों ने अफगान तालिबान के हवाले से कहा, "अफगान तालिबान ने पाकिस्तान की अव्यवहारिक और असंगत मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का किसी भी आतंकवादी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है।"

पाकिस्तान ने भी ठुकराई अफगान तालिबान की एक मांग


अफगान तालिबान की एक और मांग थी- पाकिस्तान को अपने हवाई क्षेत्र से अमेरिकी ड्रोन को अफगानिस्तान में घुसने नहीं देना चाहिए। सूत्रों ने बताया, "पाकिस्तान ने भी इस मांग कबूल नहीं किया।"

सूत्रों ने  भी बताया कि तुर्की में बातचीत के दौरान अफगान तालिबान शासन के दो गुट, खासतौर से 'काबुल समूह' और 'कंधार समूह', अलग-अलग बंटे हुए दिखाई दिए। अफगान तालिबान प्रतिनिधिमंडल काबुल और कंधार से लगातार संपर्क में था।

सूत्रों ने बताया, इस बीच, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि बातचीत विफल होने या कोई सुरक्षा समझौता नहीं होने पर, पाकिस्तान अंदर या बाहर आतंकवादियों को निशाना बनाना जारी रखेगा।

सूत्रों ने ये भी बताया, "परिणामस्वरूप, पाकिस्तान और अफगानिस्तान किसी भी अंतिम समझौते पर पहुंचने में विफल रहे। तीन दिनों की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि, कतर और तुर्की के अधिकारी और मध्यस्थ अभी भी सफलता पाने की कोशिश कर रहे हैं।"

अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच कैसे बढ़ी झड़प

9 अक्टूबर को पाकिस्तान ने काबुल में TTP कैंपों को निशाना बनाते हुए सीमा पार हवाई हमले किए, जिसके बाद झड़पें शुरू हुईं। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर TTP आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया, जो 2021 से सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को मारने के लिए जिम्मेदार हैं।

जवाब में, तालिबान ने सीमा पार एक जवाबी हमला किया, जिसमें 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और वीकेंड में 20 सुरक्षा चौकियां नष्ट कर दीं। सऊदी अरब और कतर के मध्यस्थता के बाद लड़ाई थोड़ी देर के लिए रुकी, लेकिन फिर से शुरू हो गई। अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने 19 अक्टूबर को तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई।

पिछले हफ्ते अफगानिस्तान ने घोषणा की कि वो पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करने और पूर्ण युद्धविराम पर सहमति करने के लिए तैयार है। अफगान अधिकारियों ने एक बयान जारी किया कि समझौते में पूर्ण युद्धविराम, आपसी सम्मान, एक-दूसरे की सुरक्षा बलों, नागरिकों और बुनियादी ढांचे के खिलाफ हमलों पर रोक, और सभी विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने की प्रतिबद्धता शामिल होगी।

झड़पों पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि वह इसे बहुत जल्दी हल कर देंगे। उन्होंने कहा, "मैंने सुना कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने शुरुआत की है, लेकिन मैं इसे बहुत जल्दी हल कर दूंगा। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और प्रधानमंत्री महान लोग हैं।"

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