नेपाल ने 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए हमले को इस साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया है। इसके साथ ही नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। उन्होंने यह भी आगाह किया कि ये आतंकी समूह नेपाल को भारत में घुसपैठ के लिए ट्रांजिट रूट का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने यह बात 9 जुलाई को काठमांडू में नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सहभागिता संस्थान (NIICE) द्वारा आयोजित एक उच्चस्तरीय संगोष्ठी में कही। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दक्षिण एशिया में आतंकवाद से जुड़े खतरों पर चर्चा करना था।
आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ नेपाल
काठमांडू में हुई एक उच्च स्तरीय संगोष्ठी में एक्सपर्ट ने कहा कि, भारत में होने वाले आतंकी हमलों का असर नेपाल समेत पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ता है, जिससे क्षेत्र की शांति और स्थिरता खतरे में आ जाती है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देना सार्क जैसी क्षेत्रीय संगठनों की सफलता में बड़ी बाधा है।
कार्यक्रम में यह सुझाव दिया गया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, खुफिया सूचनाओं का आपसी आदान-प्रदान और भारत-नेपाल सीमाओं पर संयुक्त गश्त को जरूरी बताया गया। इसके साथ ही, सभी रिजनल स्टेकहोल्डर्स से आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह के दोहरे मापदंड से बचने की अपील की गई।
आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े एक्शन की जरूरत
नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुए इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए "ऑपरेशन सिंदूर" को सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत और निर्णायक कदम बताया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। चर्चा के दौरान यह भी याद दिलाया गया कि भारत की फ्लाइट IC-814 के अपहरण और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा पहलगाम हमले जैसी घटनाओं ने नेपाल की सुरक्षा को भी प्रभावित किया है। पहलगाम हमले में एक नेपाली नागरिक समेत 26 लोग मारे गए थे, जिससे साफ होता है कि क्षेत्रीय आतंकवाद की आग किसी एक देश तक सीमित नहीं रहती।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद से कारगर ढंग से निपटने के लिए दक्षिण एशिया में एक समर्पित और समन्वित क्षेत्रीय व्यवस्था की तत्काल ज़रूरत है, ताकि शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
नेपाल का ट्रांजिट रूट क्यों माना जाता है जोखिम भरा?
भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जहां सुरक्षा जांच बहुत सीमित होती है। यही वजह है कि यह सीमा आतंकियों के लिए भारत में घुसने का आसान रास्ता बन जाती है। अक्सर वे अपनी पहचान छुपाने के लिए नकली नेपाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई मामलों में देखा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठन नेपाल के रास्ते भारत में घुसने की कोशिश करते हैं। कई आतंकियों को इस सीमा से घुसपैठ करते समय पकड़ा भी गया है।
इसका एक बड़ा उदाहरण 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 का अपहरण है। यह विमान काठमांडू से दिल्ली जा रहा था, जिसे आतंकी हथियारों के साथ विमान में चढ़कर हाईजैक करने में कामयाब हो गए। इस घटना ने काठमांडू एयरपोर्ट की सुरक्षा में गंभीर खामियों को उजागर किया और नेपाल के जरिये आतंकी गतिविधियों के खतरों पर ध्यान खींचा।