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Amir Hamza: आतंकी हाफिज सईद का करीबी और लश्कर का सह-संस्थापक आमिर हमजा गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में गिन रहा आखिरी सांसें

Amir Hamza injured in Lahore: लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक सदस्य आमिर हमजा को लाहौर में भर्ती कराया गया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि 66 वर्षीय हमजा अपने घर पर गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी IAI की सुरक्षा में लाहौर के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है

अपडेटेड May 21, 2025 पर 10:55 AM
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Amir Hamza injured in Lahore: आमिर हमजा को लाहौर में उसके आवास पर हुई एक घटना के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है

Amir Hamza injured in Lahore: प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LET) के सह-संस्थापक आमिर हमजा के अचानक अस्पताल में भर्ती होने से तमाम अटकलें तेज हो गई हैं। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक सदस्य आमिर हमजा को लाहौर में उसके आवास पर हुई एक घटना के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि 66 वर्षीय हमजा अपने घर पर गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी IAI की सुरक्षा में लाहौर के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

इस घटना के तीन दिन पहले ही लश्कर-ए-तैयबा के हाई प्रोफाइल ऑपरेटिव और आतंकियों को भर्ती करने के जिम्मेदार अबू सैफुल्लाह की पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर समर्थक टेलीग्राम चैनलों ने मंगलवार शाम को इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें समर्थकों ने सदस्यों से संकट के दौरान मजबूत बने रहने का आग्रह किया।

आतंकी समूह ने इस बात पर जोर दिया कि हमजा की चोटें दुर्घटना का परिणाम थीं। हमजा का वर्तमान में लाहौर के एक सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की निगरानी में उसके वार्ड के आसपास सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है।


2018 में लश्कर से जुड़े चैरिटी जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर वित्तीय कार्रवाई के बाद हमजा ने कथित तौर पर खुद को समूह से अलग कर लिया। बाद में उन्होंने एक अलग संगठन जैश-ए-मनकाफा शुरू किया, जिसके बारे में माना जाता है कि उसने विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी अभियान जारी रखे हैं।

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है और हमजा को प्रतिबंधित आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया है। माना जाता है कि वह लश्कर की केंद्रीय समिति का सदस्य था, जिसने धन उगाहने, भर्ती करने और जेल में बंद आतंकवादियों की रिहाई सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हमजा की घटना भारत द्वारा 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के ठीक एक पखवाड़े बाद हुई है। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद किया गया था, जिसमें 26 नागरिकों की जान चली गई थी।

RSS मुख्यालय पर हमले का आरोपी था अबू सैफुल्लाह

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय पर साल 2006 में हुए हमले के मुख्य षडयंत्रकारी और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी रजाउल्ला निजामनी खालिद उर्फ ​​अबू सैफुल्लाह की रविवार को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। खालिद 2000 की शुरुआत में नेपाल से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकी अभियानों का नेतृत्व करता था। उसे विनोद कुमार, मोहम्मद सलीम और रजाउल्ला नाम से भी जाना जाता था।

अधिकारियों ने बताया कि खालिद भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि खालिद रविवार को दोपहर सिंध के मतली में अपने घर से निकला था और सिंध प्रांत के बदनी में एक चौराहे के पास हमलावरों ने उसे गोली मार दी। लश्कर के अबू अनस का करीबी सहयोगी खालिद नागपुर में संघ मुख्यालय पर हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें तीनों आतंकवादी मारे गए थे।

RSS मुख्यालय पर हमले के अलावा, लश्कर का यह आतंकवादी खालिद 2005 में बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान पर हुए आतंकी हमले में भी शामिल था, जिसमें आईआईटी के प्रोफेसर मुनीश चंद्र पुरी की मौत हो गई थी और चार अन्य लोग घायल हुए थे। आतंकवादी घटनास्थल से भाग निकले थे। हालांकि बाद में पुलिस ने मामले की जांच की और अबू अनस के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। अनस अब भी फरार है।

खालिद 2008 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) शिविर पर हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था, जिसमें सात जवान और एक नागरिक की मौत हो गई थी। दोनों आतंकवादी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए थे। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मॉड्यूल का पर्दाफाश किए जाने के बाद खालिद नेपाल छोड़कर पाकिस्तान लौट गया था।

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बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के कई नेताओं के साथ मिलकर काम किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के लिए लश्कर-ए-तैयबा कमांडर यूसुफ मुजम्मिल, मुजम्मिल इकबाल हाशमी और मुहम्मद यूसुफ तैबी शामिल थे। खालिद को पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के नेतृत्व ने सिंध के बादिन और हैदराबाद जिलों के इलाकों से नये आतंकवादियों की भर्ती करने और आतंकी संगठन के लिए धन जुटाने का काम सौंपा था।

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