कैलिफोर्निया की एक 73 वर्षीय पंजाबी सिख महिला हरजीत कौर को पिछले हफ्ते अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने बिना किसी वजह के हिरासत में ले लिया। वह तीन दशक से भी ज्यादा समय से अमेरिका में रह रही थीं। उनको हिरासत में लिए जाने से सिख समुदाय के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1992 में दो बच्चों की सिंगल मदर के रूप में कौर भारत से अमेरिका गईं और हरक्यूलिस में 'पंजाबी दादी' के नाम से फेमस हो गईं। अब उनको अचानक से कस्टडी में लेने पर सिख समुदाय समेत अन्य प्रवासी भारतीयों में काफी नाराजगी है।
'पंजाबी दादी' हरजीत कौर को 8 सितंबर को सैन फ्रांसिस्को में हिरासत में लिया गया। उसके अगले दिन उन्हें बेकर्सफील्ड के मेसा वर्डे डिटेंशन सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया। हरजीत कौर का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। वह एक दशक से भी ज्यादा समय से नियमित आव्रजन जांच (जो हर छह महीने में होती है) का पालन कर रही थीं।
रिपोर्ट के अनुसार, उनकी हिरासत के बाद कॉन्ट्रा कोस्टा काउंटी के एल सोब्रांते में लोगों का एक बड़ा समूह कौर के समर्थन में इकट्ठा हुआ। लोगों ने बताया कि वह करीब 33 वर्षों से हरक्यूलिस में रह रही थीं। शुक्रवार शाम को एपियन वे और सैन पाब्लो डैम रोड के चौराहे पर भीड़ जमा हो गई। इस दौरान लोगों ने उनकी रिहाई की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने 'वह कोई अपराधी नहीं है' और 'हमारी दादी का हाथ छोड़ों' जैसे नारे लिखे हुए प्लेकार्ड लिए हुए थे। दर्जनों गाड़ियां उनके समर्थन में हॉर्न बजा रही थीं। लोगों ने 'दादी को घर ले आओ' लिखे पोस्टर भी पकड़े हुए थे। रिपोर्ट में बताया गया कि दादी के लगभग 200 समर्थक एल सोब्रांते सिख गुरुद्वारे के नीचे इकट्ठा हुए थे।
स्थानीय तौर पर बर्कले के सारी पैलेस में वह लंबे समय से सिलाई का काम करती थीं। ग्राहक उन्हें प्यार से "दादी" कहते थे। उनकी पोती सुखदीप कौर ने एक रैली में रिचमंडसाइड से कहा, "वह कोई अपराधी नहीं हैं। और वह सिर्फ मेरी दादी ही नहीं हैं। वह सबकी दादी हैं।"
हरक्यूलिस नगर परिषद सदस्य दिल्ली भट्टाराई ने कहा, "वह समुदाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं। वह हमारी तरह ही एक स्थायी मतदाता हैं।" बताया जा रहा है कि उनकी बहू मंजीत कौर भीड़ को संबोधित करते हुए रो पड़ीं। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि हमारे डर सच नहीं होंगे। मैं दुआ कर रही हूं कि वह वहां ठीक रहे। वह मेरे लिए सब कुछ है।" परिवार ने बताया कि 2012 में शरण का दावा खारिज होने के बाद से मंजीत कौर ने बार-बार आईसीई की निगरानी आवश्यकताओं का पालन किया है। उन्होंने निर्वासन का कभी विरोध नहीं किया।
रिश्तेदारों के अनुसार, उन्होंने भारतीय वाणिज्य दूतावास से ट्रैवल दस्तावेज भी मांगे, लेकिन उन्हें देने से मना कर दिया गया। मंजीत कौर ने पूछा, "आईसीई पिछले 13 सालों से उनके लिए ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स बनाने की कोशिश कर रहा है। अगर आईसीई 13 सालों में भी इसे नहीं बना सका, तो हम इसे कैसे बनाएंगे?"
उनके प्रियजन कौर के हेल्थ को लेकर चिंतित हैं। कौर थायराइड, घुटनों के दर्द और माइग्रेन समेत कई बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके परिवार का कहना है कि हिरासत में उन्हें पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। ABC7 न्यूज ने उनके रिश्तेदारों के हवाले से बताया कि जब उन्होंने आखिरी बार फोन पर बात की थी, तो वह रो रही थीं। वह हमसे मदद की भीख मांग रही थीं।