33 साल से अमेरिका में रह रही 'पंजाबी दादी' को हिरासत में लेने पर आक्रोश, लोगों ने किया प्रदर्शन

Punjabi Dadi Detained: हरजीत कौर 1992 में दो बच्चों की सिंगल मदर के रूप में भारत से अमेरिका गईं और हरक्यूलिस में 'पंजाबी दादी' के नाम से फेमस हो गईं। अब उनको अचानक से कस्टडी में लेने पर सिख समुदाय समेत अन्य प्रवासी भारतीयों में काफी नाराजगी है

अपडेटेड Sep 14, 2025 पर 10:41 PM
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सिख महिला की हिरासत के बाद लोगों का एक बड़ा समूह उनके समर्थन में इकट्ठा हुआ

कैलिफोर्निया की एक 73 वर्षीय पंजाबी सिख महिला हरजीत कौर को पिछले हफ्ते अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने बिना किसी वजह के हिरासत में ले लिया। वह तीन दशक से भी ज्यादा समय से अमेरिका में रह रही थीं। उनको हिरासत में लिए जाने से सिख समुदाय के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1992 में दो बच्चों की सिंगल मदर के रूप में कौर भारत से अमेरिका गईं और हरक्यूलिस में 'पंजाबी दादी' के नाम से फेमस हो गईं। अब उनको अचानक से कस्टडी में लेने पर सिख समुदाय समेत अन्य प्रवासी भारतीयों में काफी नाराजगी है।

'पंजाबी दादी' हरजीत कौर को 8 सितंबर को सैन फ्रांसिस्को में हिरासत में लिया गया। उसके अगले दिन उन्हें बेकर्सफील्ड के मेसा वर्डे डिटेंशन सेंटर में शिफ्ट कर दिया गयाहरजीत कौर का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं थावह एक दशक से भी ज्यादा समय से नियमित आव्रजन जांच (जो हर छह महीने में होती है) का पालन कर रही थीं।

रिपोर्ट के अनुसार, उनकी हिरासत के बाद कॉन्ट्रा कोस्टा काउंटी के एल सोब्रांते में लोगों का एक बड़ा समूह कौर के समर्थन में इकट्ठा हुआ। लोगों ने बताया कि वह करीब 33 वर्षों से हरक्यूलिस में रह रही थीं। शुक्रवार शाम को एपियन वे और सैन पाब्लो डैम रोड के चौराहे पर भीड़ जमा हो गई। इस दौरान लोगों ने उनकी रिहाई की मांग की।


प्रदर्शनकारियों ने 'वह कोई अपराधी नहीं है' और 'हमारी दादी का हाथ छोड़ों' जैसे नारे लिखे हुए प्लेकार्ड लिए हुए थे। दर्जनों गाड़ियां उनके समर्थन में हॉर्न बजा रही थींलोगों ने 'दादी को घर ले आओ' लिखे पोस्टर भी पकड़े हुए थेरिपोर्ट में बताया गया कि दादी के लगभग 200 समर्थक एल सोब्रांते सिख गुरुद्वारे के नीचे इकट्ठा हुए थे

स्थानीय तौर पर बर्कले के सारी पैलेस में वह लंबे समय से सिलाई का काम करती थींग्राहक उन्हें प्यार से "दादी" कहते थेउनकी पोती सुखदीप कौर ने एक रैली में रिचमंडसाइड से कहा, "वह कोई अपराधी नहीं हैंऔर वह सिर्फ मेरी दादी ही नहीं हैंवह सबकी दादी हैं"

हरक्यूलिस नगर परिषद सदस्य दिल्ली भट्टाराई ने कहा, "वह समुदाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही हैंवह हमारी तरह ही एक स्थायी मतदाता हैं" बताया जा रहा है कि उनकी बहू मंजीत कौर भीड़ को संबोधित करते हुए रो पड़ींउन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि हमारे डर सच नहीं होंगेमैं दुआ कर रही हूं कि वह वहां ठीक रहेवह मेरे लिए सब कुछ है" परिवार ने बताया कि 2012 में शरण का दावा खारिज होने के बाद से मंजीत कौर ने बार-बार आईसीई की निगरानी आवश्यकताओं का पालन किया हैउन्होंने निर्वासन का कभी विरोध नहीं किया

रिश्तेदारों के अनुसार, उन्होंने भारतीय वाणिज्य दूतावास से ट्रैवल दस्तावेज भी मांगे, लेकिन उन्हें देने से मना कर दिया गयामंजीत कौर ने पूछा, "आईसीई पिछले 13 सालों से उनके लिए ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स बनाने की कोशिश कर रहा हैअगर आईसीई 13 सालों में भी इसे नहीं बना सका, तो हम इसे कैसे बनाएंगे?"

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उनके प्रियजन कौर के हेल्थ को लेकर चिंतित हैंकौर थायराइड, घुटनों के दर्द और माइग्रेन समेत कई बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके परिवार का कहना है कि हिरासत में उन्हें पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। ABC7 न्यूज ने उनके रिश्तेदारों के हवाले से बताया कि जब उन्होंने आखिरी बार फोन पर बात की थी, तो वह रो रही थीं। वह हमसे मदद की भीख मांग रही थीं।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 14, 2025 10:35 PM

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