H-1B Visa Fee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर का सालाना शुल्क लगाने का एक बड़ा फैसला लिया है, जिसने अमेरिकी टेक उद्योग में हलचल मचा दी है। इस फैसले पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार रहे अजय भूटोरिया और एफआईआईडीएस (FIIDS) जैसे संगठनों ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। आइए आपको बताते हैं क्या है इस पर एक्सपर्ट्स की राय और इसका क्या होगा असर।
'साहसिक कदम है पर स्टार्टअप्स के लिए होंगी मुश्किलें
जो बिडेन के पूर्व सलाहकार अजय भूटोरिया ने इस फैसले को अमेरिकी नागरिकों को ऊपर उठाने के लिए एक 'साहसिक कदम' बताया है। भूटोरिया ने कहा, 'यह 100,000 डॉलर का H-1B शुल्क, जो 21 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा, एक साहसिक कदम है। यह कम लागत वाले विदेशी श्रम पर निर्भरता कम करके अमेरिकी नागरिक वरिष्ठ आईटी कर्मचारियों और नए कॉलेज स्नातकों को ऊपर उठा सकता है, जिससे अमेरिकी प्रतिभा के लिए उचित वेतन और अवसर सुनिश्चित होंगे।' हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस फैसले से स्टार्टअप्स को भर्ती में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और अमेरिका की तकनीकी बढ़त बनाए रखने के लिए 'लक्षित छूट' के साथ एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
टेक इंडस्ट्री के लिए 'दुर्भाग्यपूर्ण' फैसला
वहीं, फाउंडेशन ऑफ इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के खंडेराव ने इस फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कहा कि इसका अमेरिकी टेक उद्योग पर 'बहुत नकारात्मक' प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, 'H-1B के लिए 100K का शुल्क एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण नीति है जिसका व्यापार, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर/टेक उद्योग, साथ ही अमेरिकी शिक्षित STEM प्रतिभा पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हमें स्टार्टअप्स और छोटी टेक कंपनियों पर इसके नकारात्मक प्रभाव के बारे में बताना होगा, जिससे उनके लिए इनोवेशन करना और प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।'
नए आदेश से भ्रमित, डरे हुए और कई सवालों से घिरे हुए हैं: HAM
अमेरिकन हिन्दू फाउंडेशन ने लिखा कि, 'अमेरिका में हजारों हिंदू राष्ट्रपति के अचानक एच1-बी वीजा पर लाए गए कार्यकारी आदेश से भ्रमित, डरे हुए और कई सवालों से घिरे हुए हैं। समुदाय इसकी कानूनी वैधता और भारत में वीजा स्टैम्पिंग के लिए जाने वाले लोगों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में अधिक स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन का इंतजार कर रहा है। यह समुदाय इन प्रतिभाशाली और अत्यधिक कुशल कर्मचारियों के साथ एकजुटता में खड़ा है, जिन्होंने अमेरिका में रहकर बहुत बड़ा योगदान दिया है, हर सही काम किया है और कानूनी रूप से देश में रहने के लिए हर कानून का पालन किया है। उनका मानना है कि ये लोग गरिमा, सम्मान और उचित कानूनी व्यवहार के हकदार हैं।
1 लाख डॉलर के शुल्क का क्या होगा असर?
यह नया 100,000 डॉलर का सालाना शुल्क मौजूदा H-1B वीजा लागतों में बड़ी वृद्धि है, जो आमतौर पर कुछ हजार डॉलर होती है। यह शुल्क सभी H-1B वीजा पर लागू होगा, चाहे वेतन स्तर या कौशल की आवश्यकता कुछ भी हो, जिससे यह केवल उन भूमिकाओं के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य रहेगा जो इस भारी लागत को सही ठहराती हैं। इस बदलाव से इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी सेवा कंपनियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जो ऐतिहासिक रूप से ग्राहक परियोजनाओं और कौशल विकास के लिए जूनियर और मिड-लेवल इंजीनियरों को अमेरिका लाती रही हैं।