अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 11 मई को ऐलान किया कि वह अमेरिकी इतिहास के "सबसे प्रभावशाली कार्यकारी आदेश" पर साइन करने की योजना बना रहे हैं। इसका उद्देश्य अमेरिका में दवाओं और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स की कीमतों को 30 फीसदी से 80 फीसदी तक कम करना है। उन्होंने ये बातें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल (Truth Social) पर कहीं। उन्होंने कहा कीमतों में यह कटौती "लगभग तुरंत" प्रभावी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि दशकों से यह सवाल बना रहा है कि अमेरिकी उपभोक्ता अन्य देशों की तुलना में दवाओं के लिए कहीं अधिक क्यों भुगतान करते हैं।
अमेरिका में दवाईयां क्यों हैं महंगी?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा है, "कई वर्षों से दुनिया यह सोचती रही है कि अमेरिका में प्रिस्क्रिप्शन दवाओं और फार्मास्युटिकल्स की कीमतें किसी भी अन्य देश की तुलना में इतनी अधिक क्यों हैं। कई बार वही दवा, जो एक ही लैब या प्लांट में, एक ही कंपनी ने बनाई हो, पांच से दस गुना अधिक कीमत पर बिकती है।" उन्होंने फार्मा कंपनियों की आलोचना की है और कहा, "इसे समझाना हमेशा मुश्किल होता था और बहुत शर्मनाक भी। फार्मा कंपनियां वर्षों से कहती रहीं कि इसकी वजह R&D की लागत है, जिसे अमेरिका के 'बेवकूफ' उपभोक्ताओं ने अकेले वहन किया।
अब Donald Trump कैसे देंगे राहत?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि नई नीति "मोस्ट फेवर्ड नेशन" प्राइसिंग मॉडल को लागू करेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अमेरिका दुनिया में कहीं भी एक ही दवा के लिए लगाए गए सबसे कम मूल्य से अधिक भुगतान न करे। ट्रंप का दावा है कि इस कदम से अमेरिका में निष्पक्षता आएगी और वैश्विक तौर पर दवाइयों की कीमतों में अंतर कम होगा और इससे अन्य देशों में दवा की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। ट्रंप ने यह ऐलान ऐसे समय में किया है, जब एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल के एक प्रस्ताव को फिर से लाने पर विचार कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिकी दवा की कीमतों को अन्य देशों में कम कीमतों से जोड़ना था।