PM Modi-Xi jinping: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर हैं। भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधारने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रविवार को चीन के तियानजिन में बड़ी मुलाकात हुई। साल 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव रहा है। ऐसे में दोनों नेताओं की यह मुलाकात खास अहमियत रखती है, खासकर तब जब अमेरिका के साथ दोनों देशों का ट्रेड वॉर चल रहा है। इस बैठक के बाद शी जिनपिंग ने भारत के साथ 'लॉन्ग-टर्म कोऑपरेशन' यानी लंबे समय तक सहयोग की बात कही, वहीं PM मोदी ने भी साफ कर दिया कि भारत आपसी विश्वास और सम्मान के साथ रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है।
PM मोदी ने उठाई बॉर्डर और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बात
मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने खुलकर सीमा प्रबंधन, दोनों देशों के बीच फ्लाइट्स को फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे मुद्दों पर बात की। उनकी बातों से यह साफ था कि भारत रिश्तों को सामान्य करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहता है।
शी जिनपिंग का 'ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो' का विजन
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने खास अंदाज में भारत-चीन के रिश्तों को 'ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो' बताया। टैंगो एक तरह का डांस है, और उनका कहना था कि दोनों देशों के प्रतीक चिन्ह, ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को मिलकर एक साथ डांस करना चाहिए, यानी तालमेल बिठाकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों को 'अच्छे पड़ोसी' की तरह रहना चाहिए।
क्या-क्या कहा शी जिनपिंग ने?
सूत्रों के मुताबिक, जिनपिंग ने कहा कि चीन, भारत के साथ सभी क्षेत्रों में 'लॉन्ग-टर्म विजन' के साथ सहयोग चाहता है। शी ने कहा, 'दुनिया में बड़े बदलाव हो रहे हैं। भारत और चीन दुनिया के सबसे सभ्य और सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। हमारे लिए दोस्त और अच्छे पड़ोसी बनकर रहना जरूरी है।' जिनपिंग ने बताया कि इस साल भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं सालगिरह है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर दोनों देशों को 'ऐतिहासिक जिम्मेदारी' निभानी चाहिए और एशिया के साथ-साथ पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
कुल मिलाकर, दोनों नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात से यह संदेश मिला है कि दोनों देश अपने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने के लिए तैयार हैं, और इसके लिए दोनों तरफ से पॉजिटिव बातचीत की शुरुआत हो गई है।