वित्तीय बोझ से दबी गो फर्स्ट (Go First) के संपत्तियों की बिक्री से जुड़ा एक प्रस्ताव आने वाला है। नुस्ली वाडिया (Nusli Wadia) की एयरलाइन कंपनी के लेंडर्स इसी हफ्ते एक प्रस्ताव पर वोटिंग करने वाले हैं जिसमें इसे लिक्विडेट करने की बात है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। गोफर्स्ट ने कर्ज चुकाने की कई डेडलाइन मिस कर दी है तो ऐसे में लेंडर्स इसे लिक्विडिट करने पर विचार कर रहे हैं। लिक्विडेट का मतलब कर्ज चुकाने के लिए संपत्तियों की बिक्री है। गो फर्स्ट के मामले में इससे जुड़े प्रस्ताव पर बैंकर्स और एयरलाइन के अधिकारी वोट करेंगे। एक बैंकर ने बताया कि इसके लिक्विडेशन में अब बहुत देरी नहीं होगी क्योंकि रिजॉल्यूशन को सबमिट करने की डेडलाइन बढ़ाने के रिजॉल्यूशन को मंजूरी मिल चुकी है यानी कि अब रिजॉल्यूशन प्लान दाखिल करने के लिए एक्स्ट्रा समय नहीं मिलेगा।
विमानन कंपनी गो फर्स्ट पर बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ड्यूश बैंक और IDBI बैंक जैसे लेंडर्स का 6521 करोड़ रुपये बकाया है। सबसे अधिक एक्सपोजर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का है जो 1987 करोड़ रुपये का है। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का 1430 करोड़ रुपये, ड्यूश बैंक का 1320 करोड़ रुपये और IDBI बैंक का 58 करोड़ रुपये बकाया है। बैंकों के अलावा एयरलाइन पर कई पट्टेदारों का करीब 2000 करोड़ रुपये, वेंडर्स का करीब 1000 करोड़ रुपये, ट्रैवल एजेंटों का करीब 600 करोड़ रुपये और लंबित रिफंड वाले ग्राहकों का 500 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा गो फर्स्ट ने कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई केंद्र की इमरजेंसी क्रेडिट स्कीम के तहत 1,292 करोड़ रुपये का उधार भी लिया था। कुल मिलाकर इस पर करीब 11,000 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं।
कितना एसेट्स है Go First के पास
अब अगर गो फर्स्ट के एसेट्स की बात करें तो इसके रिजॉल्यूशनल प्रोफेशनल शैलेंद्र अजमेरा और क्रेडिटर्स की कमेटी (CoC) के साथ काम करने वाले अधिकारी ने बताया कि CoC ने इसे करीब 3 हजार करोड़ रुपए पर फिक्स किया है। लिक्विडेट यानी एसेट्स की बिक्री के बाद जो पैसे मिलेंगे, वह ग्राहकों, ट्रैवल एजेंट्स, बैंकों और बाकी लेंडर्स के बीच बांट दिया जाएगा। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत मामलों को पूरा करने के लिए निर्धारित 270 दिनों की समय सीमा अब खत्म होने वाली है और अब CoC इस हफ्ते लिक्विडेशन पर वोट करने वाली है। गो फर्स्ट के पास ठाणे में 94 एकड़ जमीन है जो बैंकों के पास गिरवी है। इसकी कीमत करीब 3000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस जमीन के अलावा इसके पास मुंबई में एयरबस ट्रेनिंग फैसिलिटी और इसका मुख्यालय है।
एक अधिकारी ने बताया कि गो फर्स्ट की कारोबारी स्ट्रैटेजी अपना खुद का विमान उड़ाने की बजाय सेल एंड लीजबैक मॉडल की थी जिसके चलते खरीदारों के लिए यह खास आकर्षक नहीं है। एक्सप्रेशन ऑफ इंटेरेस्ट (EOI) चर्चा के दौरान कई पार्टी ने इस खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन चूंकि इसके पास अपना खुद का जहाज नहीं है तो इसे फिर से पटरी पर लाना पहाड़ पर चढ़ने जैसा है। इस चर्चा में जिंदल पावर को कमेटी ने सबसे उपयुक्त समझा था।
सितंबर तक चालू करने का दावा फुस्स
वाडिया ग्रुप की विमानन कंपनी ने 2 मई 2023 को उड़ान बंद कर दी थी और आठ दिन बाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने इसकी स्वैच्छिक दिवालिया याचिका को मंजूर कर लिया था। जब गो फर्स्ट ने 2 मई को वालंटरी बैंकरप्सी घोषित किया था तो इसमें करीब 7 हजार एंप्लॉयीज थे। गो फर्स्ट ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया। कंपनी का कहना था कि इंजन और पुर्जों की कमी के कारण इसका आधा बेड़ा खड़ा हो गया था जिसने वित्तीय दिक्कतें बढ़ाईं।
उड़ान बंद करने के समय इसके पास 56 विमान लीज पर लिए हुए थे और अब इंजन और विमानों के पट्टेदार इनके वापस होने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने मई में कहा था कि विमान कंपनी को जल्द से जल्द शुरू करने की उम्मीद है। उन्होंने दावा किया था कि अगर प्रैट एंड वाइट इसे इंजन दे देती है तो सितंबर तक यह उड़ान भरने लगेगी। हालांकि इस हफ्ते की शुरुआत में सीईओ कौशिक ने ही गो फर्स्ट छोड़ दी।