केंद्रीय बैंक RBI अब सोलर पैनल मैनुफैक्चरिंग को प्रॉयोरिटी सेक्टर लेंडिंग ब्रेकेट में शामिल करने पर विचार कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट्स में इसका खुलासा हुआ है। आरबीआई इस पर अगले दो से तीन महीने में इस पर फैसला ले सकता है। सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद दो सिफारिशों पर सहमति बनी है। एक अधिकारी के मुताबिक बैंकों ने सोलर पैनल मैनुफैक्चरर्स को प्रॉयोरिटी सेक्टर का टैग देने की बात कही थी। रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री इस सेक्टर के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में बदलाव करने पर विचार कर रही है।
बैंकों ने भेजी थी सिफारिशें
पिछले दो महीने में फाइनेंस और रिन्यूएबल एनर्जी की मिनिस्ट्री से जुड़े अधिकारी और बैंकर्स के बीच कुछ बैठकें हो चुकी हैं। इसमें सौर फोटोवोल्टिक बनाने वाली कंपनियों की फंडिंग से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई। बैंकों ने इसे लेकर अपनी तरफ से कुछ सिफारिशें भेजी थीं।
सोलर एसोसिएशन ने इन दिक्कतों की तरफ भी दिलाया ध्यान
फाइनेंसिंग के अलावा सोलर एसोसिएशन ने कुछ और दिक्कतों की तरफ भी ध्यान दिलाया है। एसोसिएशन के मुताबिक दक्षिण-पूर्व के एशियाई देशों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत आयात भी घरेलू मैनुफैक्चरर्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे पहले सोलर एसोशिएशन ने कहा था कि निर्यात में उम्मीद के मुताबिक कमी नहीं आई है। एसोसिएशन के एक सदस्य का कहना है कि ये चीन की कंपनियां हो सकती हैं जिन्होंने अपना आधार इन देशों में स्थानांतरित कर लिया है और वहां से निर्यात कर रहे हैं और सरकार को इसकी जानकारी भी दे दी गई है।
उनका दावा है कि जिन देशों के साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया है, उनसे सोलर आयात पिछले 2-3 महीने में 48 फीसदी बढ़ गया। एनर्जी थिंक टैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 2023 की पहली छमाही में चीन से सौर मॉड्यूल आयात में लगभग 80 फीसदी या 200 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है। यह गिरावट टैरिफ लगाने के चलते आई। इसके चलते भारत में सोलर मॉड्यूल की मैनुफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ी है।