Credit Cards

Andhra Pradesh Lok Sabha Elections Dates 2024: आंध्र में जगन मोहन रेड्डी की आंधी को रोक पाएंगे चंद्रबाबू नायडू? यहां पढ़ें पूरा शेड्यूल

Andhra Pradesh Lok Sabha Elections 2024: भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव का शेड्यूल घोषित कर दिया है। लोकसभा चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल, दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा चरण 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां चरण 20 मई, छठा चरण 25 मई और सातवां चरण 1 जून को होगा

अपडेटेड Mar 16, 2024 पर 4:59 PM
Story continues below Advertisement
Andhra Pradesh Lok Sabha Elections 2024: आंध्र प्रदेश लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में 9वां सबसे बड़ा राज्य है

Andhra Pradesh Lok Sabha Elections 2024: देश में आम चुनाव का बिगुल फुंक चुका है। 19 अप्रैल से 7 चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। आंध्र प्रदेश में एक ही चरण में 13 मई को मतदान होंगे। साथ ही देशभर में नतीजे एक साथ चार जून को आएंगे। तारीखों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। आंध्र प्रदेश देश के उन कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां राष्ट्रीय दलों ने लोकसभा चुनावों के दौरान लगातार संघर्ष किया है, क्योंकि राज्य की स्थानीय पार्टियों की जनता पर मजबूत पकड़ है।

आंध्र प्रदेश कांग्रेस के लिए कभी महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, लेकिन 2004 और 2009 दोनों लोकसभा चुनावों में काफी निराशाजनक प्रदर्शन था। दूसरी ओर बीजेपी 2014 में दो सीटें और 2019 में शून्य सीटें जीतने के बावजूद केंद्र में सरकार बनाने में सक्षम थी। लेकिन, I.N.D.I.A. गठबंधन की एंट्री 2024 के लोकसभा चुनाव में 400+ सीटों के उनके मिशन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। राज्य में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने की उम्मीद है।

राज्य में कितने लोकसभा सीट है?


आंध्र प्रदेश में कुल 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें अरुकु, श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली, काकीनाडा, अमलापुरम, राजमुंदरी, नरसापुरम, एलुरु, मछलीपट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, नरसारावपेट, बापटला, ओंगोल, नंद्याल, कुरनूल, अनंतपुर, हिंदूपुर, कडप्पा, नेल्लोर, तिरूपति, राजमपेट और चित्तूर शामिल है।

जनसंख्या और वोटर्स की संख्या

2011 की जनगणना के अनुसार, आंध्र प्रदेश की जनसंख्या 8.46 करोड़ है, जो 2001 की जनगणना के 7.62 करोड़ से अधिक है। लोकसभा चुनाव 2019 में आंध्र प्रदेश में कुल 3.97 करोड़ लोग मतदान के पात्र थे।

2019 और 2014 के नतीजे

पिछला लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल 2019 को आंध्र प्रदेश में आम चुनाव हुए थे। YSR कांग्रेस पार्टी ने 2019 के आम चुनाव राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत हासिल की थी। वहीं, TDP केवल 3 सीटों पर सिमट गई। जबकि बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां एक भी सीट नहीं जीत पाईं। दोनों का राज्य में सफाया हो गया। वहीं, आंध्र प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) को 11, तेलुगु देशम पार्टी को 16, बीजेपी को 3 और YSR कांग्रेस पार्टी को 9 सीटें मिली थीं।

विधानसभा के नतीजे

आंध्र प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होना है। आंध्र में लोकसभा की कुल सीट है। वहीं, विधानसभा सीटों की संख्या 175 है। आंध्र प्रदेश में 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 4, तेलुगु देशम पार्टी को 102, नवोदयम पार्टी को 1, YSRCP को 67 और निर्दलीय को 1 सीट मिली थी। वहीं, 2019 को विधानसभा चुनाव में YSRCP ने 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर भारी बहुमत से चुनाव जीता, जबकि तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने 23 सीटें जीतीं।

2019 में कब हुए थे मतदान?

भारत निर्वाचन आयोग (EC) ने 10 मार्च, 2019 को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी। चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार, आंध्र प्रदेश में आम चुनाव 11 अप्रैल, 2019 को एक ही चरण में हुए थे। राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ था। आदर्श आचार संहिता 10 मार्च की शाम से लागू हो गई थी और 11 अप्रैल को मतदान के बाद 23 मई को मतगणना की पूरी प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रही। वोटों की गिनती पूरे देश में सामूहिक रूप से 23 मई 2019 को की गई थी।

जातीय समीकरण

आंध्र प्रदेश लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में 9वां सबसे बड़ा राज्य है। 25 सीटों में से 4 सीटें ST उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं, जबकि 1 सीट SC उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान YSR कांग्रेस पार्टी निर्धारित 25 सीटों में से 22 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

आंध्र प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपना खाता खोलने में नाकाम रहे। राज्य में बीजेपी और एनडीए के लिए स्थिति समान बनी हुई है। नवगठित I.N.D.I.A. गठबंधन का हिस्सा होने के कारण कांग्रेस आगामी मेगा चुनावों में लाभकारी पक्ष में रह सकती है। हालांकि, दोनों गठबंधनों को YSR कांग्रेस पार्टी जैसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

इस बार का चुनाव क्यों अलग है?

इस बार राज्य में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। आंध्र प्रदेश में एक साथ होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ YSRCP और उसकी प्रतिद्वंद्वी TDP दोनों राजनीतिक गठबंधन तलाशने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संपर्क में हैं। हालांकि, अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है। 8 फरवरी को टीडीपी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने नई दिल्ली में देर रात वरिष्ठ BJP नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिससे अटकलें लगाई गईं कि उन्होंने संभावित राजनीतिक गठबंधन पर बातचीत की।

दोनों दलों ने अभी तक गठबंधन की घोषणा नहीं की है। एक सूत्र ने बताया कि टीडीपी और बीजेपी गठबंधन पर चर्चा कर रहे हैं, जिसकी घोषणा कुछ दिनों में की जा सकती है। दूसरी तरफ YSRCP प्रमुख और राज्य के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी भी NDA के साथ गठबंधन के लिए बेकरार हैं। 9 फरवरी को नायडू की नई दिल्ली यात्रा समाप्त होने के कुछ ही घंटों के भीतर रेड्डी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने राजधानी पहुंचे, जिससे राजनीतिक गठबंधन पर अटकलों का बाजार शुरू हो गया।

लेकिन बीजेपी की तरफ से राजनीतिक गठबंधन पर कोई संकेत नहीं दिया गया है। चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता वाली तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और पवन कल्याण की अध्यक्षता वाली उसकी गठबंधन सहयोगी जन सेना पार्टी (JSP) ने आंध्र प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 99 उम्मीदवारों की संयुक्त लिस्ट जारी कर चुके हैं।

जगन मोहन रेड्डी की आंधी को रोक पाएंगे चंद्रबाबू नायडू?

तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी है। YSRCP के जगन मोहन रेड्डी यहां राजनीतिक सिरमौर बने हुए हैं। रेड्डी के बढ़ते प्रभाव से आंध्र में 2014 के बाद चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी और कांग्रेस की राजनीति हाशिए पर चली गई। बीजेपी का आंध्र प्रदेश में पहले से ही कोई खास जनाधार नहीं था और आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही है। भगवा पार्टी यहां मजबूत स्थानीय नेतृत्व के अभाव से जूझ रही है।

ये भी पढ़ें- Delhi Lok Sabha Elections 2024: क्या दिल्ली में फिर क्लीन स्वीप करेगी BJP या AAP-कांग्रेस गठबंधन बिगाड़ेगा खेल? जानें सियासी गणित

इस बार की लड़ाई त्रिकोणीय होने की उम्मीद है, क्योंकि अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की जन सेना पार्टी भी आंध्र प्रदेश में अपनी राजनीतिक ज़मीन बनाने में शिद्दत से जुटी है। आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना जून 2014 में नया राज्य बना था। इसी घटना के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति ने करवट ले ली। इस बंटवारे के बाद टीडीपी और कांग्रेस का राजनीतिक ग्राफ तेजी से नीचे आया और प्रदेश के लोगों में जगन मोहन रेड्डी को लेकर भरोसा बढ़ता गया।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।