ब्लू चिप कंपनियों के बारे में आम धारणा है कि इनके शेयरों पर बाजार की उतार-चढ़ाव का खास असर नहीं पड़ता है और लगातार अच्छा रिटर्न देते हैं। हालांकि पिछले दो से तीन साल में ऐसा हो रहा है कि अधिकतर ब्लू चिप स्टॉक्स (Blue Chip Stocks) ने स्थिर, 10 फीसदी से कम या निगेटिव रिटर्न दिया है। अधिकतर ब्लू चिप स्टॉक्स महामारी के समय के ऊंचे स्तर को पार करने में नाकाम रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सुधरती मैक्रोइकनॉमिक परिस्थितियों के बीच अप्रैल से स्टॉक मार्केट में शानदार तेजी आई है। स्टॉक मार्केट में यह तेजी मिड और स्मॉल कैप शेयरों के दम पर आई है। अप्रैल से सेंसेक्स और निफ्टी करीब 13 फीसदी उछले हैं जबकि बीएसई मिडकैप करीब 35 फीसदी और स्मॉल कैप इंडेक्स करीब 43 फीसदी चढ़े हैं। बीएसई 100 इंडेक्स 15.5 फीसदी उछला है।
कितना रिटर्न मिला दो से तीन साल में
BSE 100 की करीब 60 फीसदी कंपनियों ने पिछले दो साल में निगेटिव या दस फीसदी से कम रिटर्न दिया है। कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) बेसिस पर इसमें से 25 फीसदी ने तो पिछले तीन साल में भी ऐसा ही रिटर्न दिया है यानी कि इन कंपनियों ने सालाना दस फीसदी से कम चक्रव़द्धि दर से रिटर्न दिया है या निगेटिव दर से। विप्रो (Wipro) ने पिछले दो साल में 24 फीसदी की CAGR से पैसा घटाया है तो वेदांता Vedanta) ने 22 फीसदी और डिविस लैब (Divi's Lab) ने 17.5 फीसदी की दर से। भारत पेट्रोलियम ने (-) 12.94 फीसदी, एवेन्यू सुपरमार्ट्स ने (-) 11.95 फीसदी, टेक महिंद्रा ने (-) 10.43 फीसदी, इंफोसिस ने (-) 10.34 फीसदी, रिलायंस ने (-) 7.35 फीसदी, कोटक महिंद्रा बैंक ने (-) 6.66 फीसदी, बजाज फिनसर्व ने (-) 6.64 फीसदी, एचडीएफसी बैंक ने (-) 4.61 फीसदी, टीसीएस ने (-) 2.22 फीसदी, बजाज फाइनेंस ने 0.04 फीसदी, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने 3.02 फीसदी और हीरो मोटोकॉर्प ने 4.16 फीसदी की CAGR से रिटर्न दिया है।
अब पिछले तीन साल में यानी महामारी के बाद रिटर्न की बात करें तो रिलायंस करीब 2.22 फीसदी की CAGR और डॉ रेड्डीज 3.75 फीसदी की CAGR से बढ़ी है। हिंदुस्तान यूनीलीवर (HUL) और विप्रो करीब 6 फीसदी उछले। इस दौरान कोटक महिंद्रा बैंक ने 9 फीसदी की CAGR से रिटर्न दिया है जबकि हीरो मोटोकॉर्प ने 2 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है।
लॉर्ज कैप स्टॉक्स में क्यों नहीं दिखा जोश
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एसोसिएट वाइस प्रेसडिंट स्नेहा पोद्दार का कहना है कि पिछले कुछ महीने में मार्केट को घरेलू फंडों और खुदरा निवेशकों से सपोर्ट मिला। इन्होंने वैल्यूएशन की वजह से लॉर्ज कैप की बजाय स्मॉल और मिड कैप को चुना। इसके अलावा सरकारी और प्राइवेट स्तर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी, स्वदेशी पर जोर और कई नीतिगत बदलावों के चलते अलग-अलग प्रकार के कुछ खास सेक्टर पर फोकस बढ़ गया।
एनालिस्ट्स के मुताबिक आईटी कंपनियों की कमजोर कमाई ने शेयरों को झटका दिया। इनकी कमाई इसलिए कमजोर रही क्योंकि वैश्विक स्तर ब्याज दरों के लंबे समय तक ऊंचे स्तर बने रहने के आसार बने जिससे अलग-अलग सेक्टर्स के क्लाइंट ने अपना खर्च घटा दिया। फार्मा शेयरों की बात करें तो एनालिस्ट्स के मुताबिक कोरोना के दौरान इनकी चमक बढ़ी थी लेकिन फिर कच्चे माल की ऊंची लागत,. नियामकीय दिक्कतों और अमेरिकी जेनेरिक मार्केट में कीमतें कम होने से इसे झटका लगा।
मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी रिलायंस की बात करें तो अधिक पूंजीगत खर्च, बढ़ते कर्ज. इक्विटी पर कम रिटर्न, और रेवेन्यू-एसेट्स के मुकाबले इक्विटी डिविडेंड और नेट प्रॉफिट की सुस्त ग्रोथ ने इसके शेयरों की ग्रोथ सीमित कर दी। टेलीकॉम और रिटेल कारोबार को अलग करने यानी डीमर्जर की अनिश्चितता ने भी इस पर दबाव डाला। एचडीएफसी बैंक के मार्जिन में गिरावट आई और एचडीएफसी के साथ विलय पर बैड लोन में उछाल रही।
एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट राजेश पालविया के मुताबिक निवेशक इंफोसिस और टीसीएस सहित कुछ शेयरों से दूरी बना रहे हैं क्योंकि नियर टर्म में इनकी कमाई को लेकर खास संकेत नहीं मिल पा रहे हैं। इन्हें कारोबार सुस्त होने और मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़ता है। इसकी बजाय निवेशक अधिक स्पष्ट और शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में बेहतर कमाई वाले सेक्टर्स को चुन रहे हैं।
कुछ एनालिस्ट्स का मानना है कि वैल्यूएशन को लेकर भरोसे में सुधार के चलते इस साल 2023 की दूसरी छमाही में लार्ज-कैप स्टॉक्स का प्रदर्शन मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों से बेहतर हो सकता है। हालांकि कुछ एनालिस्ट्सस का यह भी मानना है कि जब तक कमाई को लेकर भरोसा नहीं बनता है, ब्लू-चिप शेयरों का प्रदर्शन कमजोर बना रह सकता है। आईटी और बैंकिंग जैसे अहम सेक्टर के शेयरों के साथ-साथ रिलायंस जैसे शेयरों का परफॉरमेंस अहम बना रहेगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ते ऑर्डर के चलते निवेशक इनमें निवेश का सुनहरा मौका है। कुछ एनालिस्ट्स का मानना है कि छोटे प्राइवेट बैंक, हॉस्पिटल्स और रियल एस्टेट सेक्टर का फिर से वैल्यूएशन किया जाना चाहिए।
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