धान, तिल और उड़द की फसलें कट चुकी हैं, खेत खाली हैं और अब किसान रबी सीजन की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार किसानों की नजर लहसुन की खेती पर है, क्योंकि ये फसल मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा देती है। देशभर में लहसुन की मांग सालभर बनी रहती है रसोई में मसाले के रूप में भी और औषधीय उपयोग के लिए भी। यही वजह है कि किसान अब पारंपरिक फसलों के बजाय लहसुन की ओर रुख कर रहे हैं। लहसुन को “सफेद सोना” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी बाजार कीमत अक्सर ऊंची रहती है और भंडारण की सुविधा होने से किसान इसे लंबे समय तक रखकर बेच सकते हैं।
हालांकि, इसकी खेती सिर्फ जुताई और बुवाई तक सीमित नहीं है; इसके लिए सही मिट्टी, उचित दूरी और समय पर सिंचाई बेहद जरूरी है। अगर वैज्ञानिक विधि अपनाई जाए, तो ये फसल किसानों की आमदनी दोगुनी कर सकती है।
कैसी मिट्टी और खेत का चयन करें
सुल्तानपुर के किसान योगेश कुमार लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि लहसुन की खेती के लिए वही खेत उपयुक्त होता है जिसमें जीवांश की मात्रा पर्याप्त हो। लहसुन के लिए दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है, क्योंकि इसमें नमी संतुलित रहती है और पौधे अच्छी तरह विकसित होते हैं। खेती से पहले खेत की 4 से 5 बार गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी और नरम हो जाए। इससे पौधों की जड़ें गहराई तक फैल पाती हैं। जुताई के दौरान खेत में जल निकासी की व्यवस्था का ध्यान रखना भी जरूरी है, क्योंकि पानी जमने से लहसुन की फसल सड़ने का खतरा बढ़ जाता है। आखिरी जुताई से तीन सप्ताह पहले कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना भी फायदेमंद होता है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और पौधों को आवश्यक पोषण मिलता है।
बीज बोने की सही दूरी बेहद जरूरी
कृषि विज्ञान केंद्र सुल्तानपुर के मुख्य कृषि वैज्ञानिक डॉ. जे. बी. सिंह के मुताबीक, लहसुन की उत्पादकता बीज बोने की दूरी पर काफी निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि पौधे से पौधे और पंक्ति से पंक्ति की दूरी लगभग 10-10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
अगर बीज बहुत पास-पास बोए जाते हैं तो पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती और पैदावार घट जाती है। सही दूरी पर बुवाई करने से न सिर्फ फसल मजबूत बनती है, बल्कि कंद भी बड़े आकार के और बेहतर गुणवत्ता वाले निकलते हैं।
उच्च पैदावार के लिए सही बीज चुनना जरूरी
लहसुन की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन उच्च पैदावार के लिए कुछ किस्में खासतौर पर अनुशंसित हैं। इनमें जमुना सफेद 1, जमुना सफेद 2, जमुना सफेद 3, एग्रीफाउंड सफेद और एग्रीफाउंड पार्वती प्रमुख हैं। खेती के विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 6 से 7 कुंतल बीज पर्याप्त होते हैं। बुवाई के 8 से 10 दिन बाद पहली सिंचाई करना जरूरी है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधों की शुरुआती वृद्धि तेज हो।
कम लागत में ज्यादा मुनाफे का मौका
लहसुन की खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे ज्यादा देखभाल या भारी लागत की जरूरत नहीं होती। अगर किसान सही समय पर बुवाई करें, दूरी का ध्यान रखें और नियमित सिंचाई व निराई करें, तो कुछ ही महीनों में फसल तैयार हो जाती है।
इसकी बाजार में मांग सालभर बनी रहती है, इसलिए लहसुन किसानों के लिए एक स्थायी और लाभदायक फसल साबित होती है।