Agriculture Tips: सिर्फ इस गेहूं से ही मुमकिन है 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार, जानिए पूरा तरीका

Agriculture Tips: खरीफ की फसलों की कटाई के बाद अब खेतों में रबी सीजन की तैयारी शुरू हो चुकी है। बिहार और उत्तर भारत के किसान गेहूं की बुवाई में जुट गए हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर के पहले हफ्ते से बुवाई शुरू कर 30 नवंबर तक पूरी कर लेने पर बेहतरीन पैदावार मिल सकती है

अपडेटेड Oct 21, 2025 पर 1:50 PM
Story continues below Advertisement
Agriculture Tips: गेहूं की खेती में खरपतवार सबसे बड़ी समस्या होती है।

अब जब खरीफ की फसलों की कटाई लगभग खत्म हो चुकी है, किसान फिर से नई फसल की तैयारी में जुट गए हैं। रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही खेतों में फिर से रौनक लौटने वाली है। इस मौसम में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है गेहूं, जिसे किसान “सुनहरी कमाई की फसल” भी कहते हैं। बिहार और उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में किसान अब गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि नवंबर का पहला हफ्ता गेहूं बोने का सबसे अच्छा समय होता है। अगर किसान 30 नवंबर तक बुवाई पूरी कर लें, तो उन्हें बहुत अच्छी पैदावार मिल सकती है।

इस समय मौसम भी फसल के लिए बिल्कुल सही रहता है, जिससे गेहूं के दाने मजबूत और अच्छे बनते हैं। जैसे-जैसे रबी का मौसम आगे बढ़ेगा, खेतों में हरियाली फिर से लौट आएगी और किसानों की मेहनत सुनहरी बालियों के रूप में नजर आएगी।

गेहूं की खेती का सही समय और अवधि


गेहूं की फसल 130 से 140 दिनों में तैयार होती है। अगर बुवाई समय पर की जाए और जलवायु अनुकूल रहे, तो ये फसल शानदार पैदावार देती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि नवंबर के शुरुआती 20 दिन इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। समय पर बुवाई करने से दानों का आकार अच्छा होता है और कीट या रोगों का खतरा भी कम रहता है।

उन्नत बीजों

मझौलिया जिले के अनुभवी किसान रविशंकर यादव का कहना है कि उन्नत किस्मों के बीज अपनाकर किसान प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल तक गेहूं की उपज प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि किस्में HD-2967 और DBW-187 (करण बंदना) किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय हैं, क्योंकि ये मात्र 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती हैं। ये बीज रोग-प्रतिरोधक हैं और इनके बालियाँ भरपूर दाने देती हैं।

जीरो टिलेज तकनीक से होगी लागत में बचत

खेती के आधुनिक तरीकों में से एक है जीरो टिलेज विधि, जिसमें मिट्टी की जुताई किए बिना बुवाई की जाती है। इससे डीजल और श्रम लागत दोनों में कमी आती है, साथ ही मिट्टी की नमी भी बनी रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार जो किसान अपने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रमाणित बीज लेकर जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करते हैं, उन्हें उत्पादन में 10 से 15% तक की बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

गेहूं की इन वैरायटीज का करें चयन

कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसान केवल पारंपरिक बीजों पर निर्भर न रहें, बल्कि नई उच्च उपज देने वाली वैरायटीज अपनाएं। HD-2967 और DBW-187 के अलावा, आप DBW-222, HD-3086, HD-3226 और DBW-252 जैसी किस्में भी चुन सकते हैं।

  • समय से बुवाई के लिए – सबौर समृद्धि (HI 1563)
  • देर से बुवाई के लिए – सबौर श्रेष्ठ
  • असिंचित क्षेत्रों के लिए – सबौर निर्जल इन किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये अलग-अलग मौसम परिस्थितियों में भी बेहतर परिणाम देती हैं।

खरपतवार नियंत्रण के लिए ध्यान रखें ये तरीका

गेहूं की खेती में खरपतवार सबसे बड़ी समस्या होती है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि बुवाई के 30 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन और मेटसल्फ्यूरॉन (टोटल) का मिश्रण छिड़कना चाहिए। इसे 16 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 120-150 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। इससे फसल को पोषक तत्वों की पूरी आपूर्ति मिलती है और उपज पर कोई असर नहीं पड़ता।

किसान अपनाएं वैज्ञानिक तरीके, बढ़ेगा मुनाफा

आज के समय में पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी तरीकों को अपनाना चाहिए। मिट्टी परीक्षण, सही बीज चयन, उर्वरक का संतुलित उपयोग और समय पर सिंचाई इन सबका संयोजन करके किसान कम लागत में अधिक उपज हासिल कर सकते हैं।

Strawberry Farming Tips: लाल और रसीली स्ट्रॉबेरी से कमाएं लाखों, सीखें आसान खेती का तरीका!

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।